Bangladesh Hinsa: बांग्लादेश में आरक्षण को लेकर चल रहे विवाद थमने के बजाय औऱ बढ़ता ही जा रहा है। धीरे-धीरे ये विवाद विरोध प्रदर्शन के रूप में बदल गया। जहां हर प्रदर्शनकारी अपनी मांगों के लिए बद से बत्तर हो चुकी स्थिति से भी निपटने के लिए तैयार हो चुका है। यहां तक की इस हालात में कई लोगों की जान तक जा चुकी है। फिर भी प्रदर्शनकारी अपनी मांगों से पिछे हटने को तैयार नहीं हैँ।

बांग्लादेश में सरकारी नौकरी में आरक्षण खत्म करने और प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों और सत्तारूढ़ पार्टी के समर्थकों के बीच जबरदस्त हिंसा भड़क उठी। इस भड़की हिंसा में अब तक 14 पुलिसकर्मियों समेत करीब 300 लोगों की जान चली गई हैं। तो वहीं इस हिंसा में हजारों लोग घायल भी हो गए हैं। बता दें विरोध प्रदर्शन के कारण बांग्लादेश में हालात इस कदर खराब हो चुके हैं कि देश में अनिश्चित काल के लिए कर्फ्यू तक लगा दिया गया है। इतना ही नहीं हजारों की संख्या में विरोध प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारिकयों की आवाज को दबाने के लिए देश में इंटरनेट की सेवा पर बैन तक लगा दिया गया है। वहीं हाईवे औऱ सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने वाले छात्रों पर पुलिस टीम गोलीबारी करने के साथ-साथ आंसू गैस के गोले भी छोड़ रही है।

प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच हुई झड़प

जानकारी के मुताबिक, अपनी मांगों के खातिर प्रदर्शनकारी छात्र देश में असहयोग अभियान चला रहे हैं। जिसके चलते पुलिस बल और प्रदर्शनकारियों के बीच जमकर कई जिलों में झड़प हुई। बताया जा रहा है कि प्रदर्शनकारियों द्वारा किये जा रहे विरोध प्रदर्शन के तहत प्रधानमंत्री शेख हसीना पर इस्तीफा देने के लिए दबाव बनाने का कार्य किया जा रहा है। वजह साफ है प्रदर्शनकारी अब साफ़ तौर पर शेख हसीना की सरकार को बदलने का मूड बना चुके हैं। जहां ढाका में हज़ारों लोगों की भीड़ के सामने छात्र नेताओं में से एक नाहिद इस्लाम ने कहा, “शेख़ हसीना को केवल इस्तीफ़ा ही नहीं देना चाहिए, बल्कि उनके ख़िलाफ़ हत्याओं, लूट और भ्रष्टाचार के लिए मुकदमा भी चलाना चाहिए। इससे पहले प्रदर्शनकारियों ने 6 अगस्त को ढाका तक लॉन्ग मार्च करने की बात कही, जिसके लिए उन्होंने सभी लोगों से इस लॉन्ग मार्च कार्यक्रम के लिए ढाका आने को कहा, हालांकि अचानक किसी कारण वश तय किये गए समय से एक दिन पहले यानी 5 अगस्त को इस कार्यक्रम को करने की घोषणा कर दी गई है।

आखिर प्रदर्शनकारी क्यों कर रहे विरोध प्रदर्शन
बांग्लादेश में फैली देशव्यापी हिंसा को लेकर अब सवाल ये उठने लगा है कि आखिर प्रदर्शनकारी यह जानलेवा प्रदर्शन क्यों कर रहे हैं और उनकी बांग्लादेश सरकार से क्या मांगे हैं। दरअसल, बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों को लेकर आरक्षण कानून का प्रावधान है। बांग्लादेश में आरक्षण प्रणाली के तहत 56 फीसदी सरकारी नौकरियां आरक्षित हैं। जो कि इन नौकरियां में से 30 फीसदी आरक्षण साल 1971 के मुक्ति संग्राम के स्वतंत्रता सेनानियों के परिवार वालों के लिए आरक्षित हैं। इसके अलावा 10 फीसदी आरक्षण पिछड़े प्रशासनिक जिलों के लिए और 10 प्रतिशत महिलाओं के लिए आरक्षण रिजर्व है। इसके अलावा पांच प्रतिशत आरक्षण जातीय अल्पसंख्यक समूहों के लिए और एक प्रतिशत दिव्यांग लोगों के लिए आरक्षित रखा गया है। यहीं वजह है कि ये बांग्लादेश सरकार सरकारी नौकरियों के लिए आरक्षण देने में पीछे हट रही है।

जानिए क्या है विवाद की वजह
बांग्लादंश की आरक्षण प्रणालियों में से विवाद 30 प्रतिशत आरक्षण को लेकर है, जो स्वतंत्रता सेनानियों के परिवार वालों को दिये ये हैं। जहां इन प्रदर्शनकारी छात्रों का आरोप है कि सरकार उन लोगों को आरक्षण देने के पक्ष में है, जो शेख हसीना सरकार का समर्थन करते हैं। इस सरकार में हद दो तब हो गई, जब मेरिट के आधार पर सरकारी नौकरियां नहीं दी जा रही हैं। जो कि सरासर गलत हैं। इन्हीं सब के बीच बांग्लादेश की सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण की कोटा प्रणाली को लेकर पिछले महीने हिंसक विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए थे। जैसे-जैसे ये प्रदर्शन तेज होता गया, सुप्रीम कोर्ट ने कोटा घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया, जिसमें से 3 प्रतिशत सेनानियों के रिश्तेदारों को दिया गया है। ऐसे में अब देखना ये होगा कि सरकारी नौकरियों के लिए अपने जान की बाजी लगाकर विरोध प्रदर्शन कर रहे इन प्रदर्शनकारी छात्रों को कब तक अपनी मांगों के लिए ये संघर्ष की लड़ाई लड़नी पड़ेगी।

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