यूपी: हिंदू-मुसलमान के सहारे भाजपा भले कितने भी दिन सत्ता में रह ले उसके पास हिंदू-मुसलमान के अलावा कोई और मुद्दा ही नहीं रहता। भाजपा की पूरी की पूरी सियासत ही सिर्फ हिंदू-मुसलमान और धार्मिक व सांप्रदायिक राजनीति पर टिकी हुई है।
नेताओं के बारे में एक बात कही जाती है कि उनके दो रूप होते हैं, एक चुनाव से पहले और चुनाव के दौरान वाला रूप.. दूसरा चुनाव संपन्न होने के बाद नतीजे आने के बाद वाला रूप.. इन दोनों रूपों में जमीन-आसमान का अंतर देखने को मिलता है। अब दूर न जाकर पिछले 10 साल से भी अधिक समय से देश की सत्ता पर बैठी भारतीय जनता पार्टी को ही देख लीजिए। ये वहीं भाजपा है जो खुद को हिंदुओं का ठेकेदार और सबसे बड़ी हिंदुत्ववादी पार्टी मानती है। शुरूआत से ही बीजेपी हिंदुत्व का चेहरा रही है और हिंदुत्व के मुद्दे पर ही अपनी सियासी रोटियां सेकती रही है। लेकिन 2024 के लोकसभा चुनावों की शुरूआत से पहले भाजपा ने कुछ एक राज्यों में अपना मुस्लिम प्रेम दिखाने की कवायद शुरू की थी.. बेशक हर कोई जानता था कि ये सिर्फ भाजपा का एक पाखंड और धोखा है.. लेकिन फिर भी पीएम मोदी और बीजेपी ने मुस्लिमों को रिझाने का बहुत प्रयास किया.. इसके लिए भाजपा ने पार्टी स्तर पर कई योजनात्मक कार्यक्रम व कैंपेन तक चलाए, जैसे कि ‘शुक्रिया मोदी भाईजान’ और सूफी संवाद, इतना ही नहीं कुछ बीजेपी नेताओं ने ये भी कहना शुरू कर दिया कि मुस्लिम महिलाएं मोदी को अपना भाई मानती हैं और मोदी के नाम पर बीजेपी को वोट भी करती हैं।
चुनाव को देख बीजेपी ने चली चाल
इन सबके पीछे बीजेपी का मकसद सिर्फ किसी तरह मुस्लिमों को लुभाना था.. हालांकि, भाजपा के इस पाखंड और धोखे की पोल उसी समय खुलने लगी, जब लोकसभा चुनाव के दो चरणों का मतदान होने के बाद ही बीजेपी व पीएम मोदी को ये लग गया कि भाजपा के लिए इस चुनाव में आगे की राह मुश्किल होने वाली है.. खुद को पिछड़ता देख भाजपा व पीएम मोदी अपने एकमात्र मुद्दे पर लौट आए.. ये मुद्दा था हिंदू-मुसलमान करना.. खुद पीएम मोदी पूरे चुनाव भर देश की ज्वलंत समस्याओं को उठाने की बजाय हर जनसभा में हिंदू-मुसलमान का राग अलापने लगे और तुष्टिकरण व सांप्रदायिक राजनीति को ही हवा देने लगे। हालांकि, जब नतीजे सामने आए तो ये एहसास हो गया कि मोदी का ये हिंदू-मुसलमान वाला दांव उतना सफल नहीं हुआ.. और 400 पार का सपना देख रही बीजेपी पूर्ण बहुमत के 272 के आंकड़े से भी काफी दूर सिर्फ 240 सीटों पर ही सिमट कर रह गई। यहां तक कि भाजपा को अयोध्या सीट तक पर हार का सामना करना पड़ा.. जिस राज्य में उसे हिंदू-मुसलमान की राजनीति से सबसे अधिक फायदा होने की उम्मीद थी, उस उत्तर प्रदेश में ही पार्टी को सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा।
हिंदू-मुसलमान का राग अलापने लगी बीजेपी
केंद्र की नई सरकार का गठन हुए अभी दो महीने का भी वक्त पूरा नहीं हुआ है, लेकिन भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने हिंदू-मुसलमान करना शुरू कर दिया है, और किसी न किसी तरीके से मुसलमानों को निशाना बनाना शुरू कर दिया, ताजा मुद्दा गरमाया हुआ है केंद्र सरकार द्वारा वक्फ बोर्ड की शक्तियों में बदलाव करने को लेकर, दरअसल, ऐसी चर्चाएं हैं कि केंद्र सरकार जल्द ही वक्फ बोर्ड की शक्तियों में कुछ कटौती कर सकती है और संशोधन करने की योजना बना रही है। इसके लिए केंद्र की एनडीए सरकार लोकसभा में वक्फ बोर्ड अधिनियम-1954 में संशोधन के लिए विधेयक पेश करने की तैयारी कर रही है, विधेयक के मसौदे पर कैबिनेट की मुहर पहले ही लग चुकी है, वक्फ बोर्ड की शक्तियों में प्रमुख संशोधनों में निकट भविष्य में वक्फ बोर्ड पहले की तरह किसी भी संपत्ति को स्वेच्छा से अपनी संपत्ति नहीं घोषित कर पाएंगे, साथ ही अब उन्हें अपने बोर्डों में महिलाओं की भागीदारी भी सुनिश्चित करनी होगी।