धर्म-कर्म: अपने अपनाए हुए जीवों की पूरी जिम्मेदारी लेने वाले, कलयुग में आत्म कल्याण के एकमात्र सफल मार्ग- नाम जहाज को चलाने वाले, प्रेम श्रद्धा विश्वास से पुकारो तो तुरंत पिघलने वाले, सबके रक्षक, दाता, इस समय के पूरे समरथ सन्त सतगुरु दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने बताया कि, सतगुरु जिसको पकड़ते हैं, छोड़ते नहीं है। उनका केवल एक निशाना होता है- हम आए वही देश से, जहां तुम्हारो धाम, तुमको घर पहुंचावना, एक हमारा काम। एक लक्ष्य, एक उद्देश्य उनका होता है कि हम, तुमको तुम्हारे घर पहुंचा दे। अब उसमें चाहे एक जन्म लेना पड़े, चाहे दो जन्म लेना पड़े, चाहे चार जन्म लेना पड़े, जन्म दिला करके, पार किया करते हैं। अगर (इस दुनिया से) चले भी जाते हैं, तो जिनको अपना अधिकार दे करके जाते हैं, उनके चार्ज में उस (जीव) को कर देते हैं। तो वो उनके लिए प्रयास करते हैं और उसे समझा करके, नाम से जोड़ करके पार किया करते हैं।

गुरु महाराज जिस नाम रूपी जहाज को लगाए हैं, उसमें जो बैठेगा, पार हो जाएगा:-

जो (जीव को भवसागर) पार करने की नाव लगी है, गुरु महाराज लगाए हुए हैं, लगा कर के चले गए, मुंह से बोल कर के, अगर उस नाव में लोग बैठ ही नहीं पाएंगे और समय इंतजार नहीं करेगा। जैसे ट्रेन, हवाई जहाज इंतजार नहीं करते, ट्रेन आगे चल पड़ती है, हवाई जहाज उड़ जाता है समय से। ऐसे ही ये जो जहाज लगी हुई है। ये कैसी जहाज है? छोटी-मोटी नहीं, बहुत बड़ी जहाज लगी है। और इस समय पर छूट है। इस जहाज पर जो कोई भी बैठ जाएगा तो वो पार हो जाएगा। तो लोगों को उस जहाज पर बैठाने की कोशिश करो। नहीं तो भ्रम और भूल में, लोगों के गलत समझा देने में, झूठ के समझा देने में, नाव पर ही लोग न बैठे, वो इसी संशय में रह जाए कि कहीं ऐसा न हो की नाव न चल पावे या डूब जाए तो विश्वास तो आपको दिलाना पड़ेगा। इसलिए थोड़ा मेहनत की जरूरत है।

सन्तों का हृदय कोमल होता है:-

कहा गया है- सन्त ह्रदय नवनीर समाना, कहा कविन परि कहे न जाना। सन्तों का, साधकों का, ऋषियों का हृदय मुलायम, मक्खन की तरह कोमल होता है। बहुत जल्दी पिघल जाता है। जैसे मक्खन बहुत जल्दी पिघल जाता है, ऐसे ही उनका भी हदय होता है।

अगर लोगों को तीसरे दिन भोजन मिलेगा तो आपको दूसरे दिन मिलेगा:-

अगर गुरु पर भरोसा करोगे, गुरु के ऊपर छोड़ोगे और अपना कर्तव्य करते जाओगे तो आपको कर्मों का फल अन्य लोगों से ज्यादा मिलेगा। अगर लोगों को तीसरे दिन भोजन मिलेगा तो आपको दूसरे दिन मिलेगा। और अगर लोगों को दूसरे दिन मिलेगा तो आपको तो (रोज) एक टाइम वो देगा ही देगा। कौन देगा? अरे हमारे गुरु महाराज, जो उस प्रभु के तदरूप हो गए हैं, वो आपको देंगे। गुरु महाराज बाबा जयगुरुदेव जी, जिनकी यह तस्वीर लगी हुई है, यह आपको देंगे। यह सब जगह मौजूद हैं, अपने अपनाए हुए जीवों की रक्षा कर रहे हैं, उनको संदेश दिला रहे हैं। और अन्य जीव भी, जो उनके नाम पर आते हैं, इकट्ठा होते हैं, उनको भी वही संभाल रहे हैं। तो गुरु महाराज आपको देंगे। आप प्रेमियो! आप चिंता मत करना। समझो! अजगर करे न चाकरी, पंछी करे न काम, दास मलूका कह गए, सबके दाता राम। तो देने वाला तो दूसरा है, गुरु महाराज देंगे। और अगर आप लोगों को गुरु महाराज से, जयगुरुदेव नाम से जोड़ोगे तो आपसे जुड़े लोगों को भी भी गुरु महाराज ही देंगे। लेकिन अक्ल और बुद्धि, गुरु महाराज के नियम और मिशन से अलग नहीं होना चाहिए। जिन चीजों की हिदायत गुरु महाराज दे कर के गए, जिन चीजों को न करने का आपको बताया जा रहा है, आपको बच्चों को बताने के लिए कहा जा रहा है कि यह बुरा है, यह अच्छा है तो बुराइयों को अगर आप छुड़ा ले जाओगे तो उनके भी रक्षक, दाता गुरु महाराज बन जाएंगे, आप सब लोग यह बात जान लो।

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