धर्म-कर्म: वक़्त के समर्थ सन्त सतगुरु उज्जैन से पधारे सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज के सीकर राजस्थान में चल रहे दो दिवसीय रक्षाबन्धन सतसंग कार्यक्रम में गुरु महाराज ने रक्षाबन्धन के पावन पर्व पर प्रातः कालीन सतसंग में देश-विदेश से पधारें हज़ारों भक्तों को सतसंग सुनाते हुए बताया कि, जन्मते और मरते समय इंसान को बहुत तकलीफ होती है। तो इस शरीर की रक्षा कैसे होगी? जीवात्मा की रक्षा कैसे होगी की कहीं ये नरकों में न चली जाए। मनुष्य को 96 करोड़ साँसें गिनकर मिलती है। यदि जीव को समय रहते जानकारी नहीं हुई, अच्छे बुरे की समझ न हुई तो अंत समय में यमदूत मार-मार कर इस जीवात्मा को शरीर से बाहर निकालते है, नरकों में डाल देते है। और वहां से निकलने के बाद 84 लाख योनियों में जाना पड़ता है। उसके बाद जाकर मनुष्य जन्म मिलता है। बहुत लम्बे समय तक जीवात्मा फंसी रहती है। इसलिए ऐसा कोई काम मत करो कि फिर नरकों में जाना पड़े।
रक्षा सूत्र को बराबर देखते रहो कि हमारी रक्षा कैसे होगी
देखो आपको राखी यहां भी मिलेगी। रक्षा सूत्र का मतलब क्या होता है? इसको जान लो, समझ लो तो ये समस्या आपकी सुलझ जाएगी, काम आपका हो जाएगा। यह रक्षा सूत्र, धागा क्या रक्षा करेगा। अगर तीर-तलवार हाथ में हो तो वो रक्षा भी करे। धागा का मतलब यह है कि इसको बराबर देखते रहो की ये रक्षा का सूत्र है। हाथ में कोई चीज रहती है तो जल्दी दिखती है। गले कमर आदि पर बंधा हो तो अपने को नहीं दूसरे को दिखता है। हाथ पर बंधा हो तो चलते-फिरते आदि निरंतर दिखता रहता है। तो आप इस रक्षा सूत्र को बराबर देखते रहो कि यह हमारा रक्षा सूत्र है, याद करते रहो कि हमारी रक्षा कैसे होगी, इस शरीर की, जीवात्मा की, रक्षा कैसे होगी, इसलिए ये बाँधा, बंधवा दिया जाता है, बराबर इसको देखते रहो।
ऐसा कोई काम न करो जिसकी वजह से अकाल मृत्यु में जाना पड़े
असली चीज को पकड़ो, जिसको लोग छोड़ रहे हैं। असली चीज यही है कि रक्षा, किसकी? जीव जीवन रक्षा। जीवात्मा की रक्षा हो और इस जीवन की रक्षा हो। ऐसा कोई काम न हो की अकाल मृत्यु में, प्रेत योनि में जाना पड़े। लाखों-करोड़ों वर्षों तक पड़े रह जाना पड़े, कोई सुनवाई न हो, परेशान रहो, इधर-उधर भटकते रहो, खाने के चक्कर में ही सब समय निकलता रहे। होशियारी से रहो, चलो। सोच-समझ कर आगे कदम बढ़ाओ जिससे अकाल मृत्यु न हो जाए। और जीवात्मा की भी रक्षा करो कि ये चौरासी, नरकों में न चली जाए। इस अवसर पर नगर के गणमान्य नागरिकों एवं जनप्रतिनिधियों के अलावा विशेष रूप से कल्याण आरोग्य सदन के ट्रस्टियों द्वारा महाराज जी से आशीर्वाद लिया गया।
महाराज जी ने दिलाया शाकाहारी-नशामुक्त रहने का संकल्प
रक्षाबन्धन पर्व पर गुरु महाराज ने सभी को ईश्वर के जीते जी दर्शन कराने वाले मार्ग नामदान को देने से पूर्व शाकाहारी और नशामुक्त बनने का संकल्प दिलाते हुए बताया कि आप लोग मेहनत ईमानदारी से काम करना, लेकिन जीव हत्या वाला कोई काम मत करना। अगर करते हो तो आज से ही छोड़ दो और कोई अन्य काम करने लगो तो गुरु की दया से उसमे ज्यादा बरकत-फायदा मिलने लगेगा। कोई भी माँस, मछली, अंडे, तेज नशे जैसे शराब कोकीन अफीम आदि का सेवन मत करना। तेज नशे से बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है। मांस, मनुष्य का भोजन नहीं है। ये पशु-पक्षियों का भोजन है। तो आज से ही संकल्प बना लो कि आज से हम शाकाहारी, नशामुक्त रहेंगे। इसके पश्चात महाराज जी ने सभी को नामदान दिया।
जयगुरुदेव नाम ध्वनि हर मुसीबत में मददगार है
गुरु महाराज ने जयगुरुदेव नाम की महिमा समझाते हुए बताया कि जयगुरुदेव नाम इस कलयुग में प्रभु का जागृत नाम है जिसे हमारे गुरु महाराज ने जगाया है। इसमे उस मालिक, उस प्रभु की पूरी शक्ति भरी हुई है। जब भी मुसीबत के समय इस नाम को याद करोगे, पूरे विश्वास के साथ बोलोगे तो ये आवाज़ उस प्रभु तक पहुँच जाएगी, और आपकी रक्षा, मदद हो जाएगी। किसमें? बीमारी, लड़ाई-झगड़े, मुसीबत में मदद हो जाएगी। तो जयगुरुदेव नाम की ध्वनि पूरे विश्वास के साथ बराबर बोलते रहना। ऐसे बोलना रहेगा- “जयगुरुदेव जयगुरुदेव जयगुरुदेव जय-जय गुरुदेव” तो ऐसे बराबर सुबह-शाम एक घण्टा बोलते रहना और परिवार को भी बुलवाना।