Lucknow: लखनऊ विश्वविद्यालय के जानकीपुरम स्थित नए परिसर में एक छात्र ने रैगिंग से परेशान होकर हॉस्टल छोड़ दिया। छात्र ने आरोप लगाया कि सीनियर छात्रों द्वारा उन्हें रात में हॉस्टल की छत पर बुलाया जाता था, और उनसे डांस करने को कहा जाता था। अगर वे मना करते थे तो उनकी पिटाई की जाती थी और उनके साथ अभद्र व्यवहार किया जाता था। उन्हें पूरी रात आधे कपड़ों में खड़ा रखा जाता था और दिन में सिर झुकाकर चलने के लिए मजबूर किया जाता था।

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रैगिंग के इन आरोपों के बाद उस छात्र ने हॉस्टल छोड़ दिया है और अब वह घर से वापस लौटने को तैयार नहीं है। रैगिंग करने वालों में तीसरे और पांचवे सेमेस्टर के छात्र शामिल थे। इस घटना ने विश्वविद्यालय के अनुशासन की पोल खोल दी है। विश्वविद्यालय हर साल 12 से 17 अगस्त तक एंटी रैगिंग वीक मनाता है, लेकिन इसके बावजूद रैगिंग की घटनाएं हो रही हैं, जिससे विश्वविद्यालय की छवि खराब हो रही है।

एक छात्र ने बताया कि रातभर जागने की वजह से वे सुबह कक्षाओं में नहीं जा पा रहे हैं और उनकी पढ़ाई प्रभावित हो रही है। रोज-रोज की रैगिंग से तंग आकर कई छात्र परिसर के बाहर रहने के लिए कमरा ढूंढ रहे हैं। इस घटना से छात्रों के माता-पिता भी चिंतित हैं। अभिभावकों का कहना है कि, अगर माहौल नहीं सुधरा तो वह अपने बच्चे को विश्वविद्यालय से निकालकर किसी निजी कॉलेज में दाखिला करवा देंगे।

मुख्य कुलानुशासक ने दिया सख्त कार्रवाई का आश्वासन:-
प्रॉक्टोरियल बोर्ड ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। रैगिंग की सूचना मिलने पर विश्वविद्यालय के मुख्य कुलानुशासक ने प्रॉक्टोरियल बोर्ड के साथ बुधवार को एचजेबी और कौटिल्य लॉ हॉस्टल में ढाई घंटे बिताए। इस दौरान उन्होंने छात्रों के कमरों में कूलर और अन्य सामान मिलने पर जुर्माना लगाया। प्रॉक्टर ने नए छात्रों से बातचीत की और किसी भी समस्या के लिए उनसे संपर्क करने की सलाह दी। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि शिकायत करने वाले छात्र की पहचान गोपनीय रखी जाएगी। विश्वविद्यालय के मुख्य कुलानुशासक प्रो. राकेश द्विवेदी ने कहा कि अगर रैगिंग के कारण कोई छात्र हॉस्टल छोड़ने के लिए मजबूर है, तो यह हमारे लिए गंभीर विषय है। रैगिंग एक अपराध है और इस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

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