Lucknow: सीबीआई कोर्ट ने भ्रष्टाचार के पांच अलग-अलग मामलों में दोषी पाए गए दो डॉक्टरों और दो पूर्व बैंककर्मियों को सजा सुनाई है। इनमें 28 साल पुराने आयुर्वेद घोटाले में शामिल उत्तरकाशी के तत्कालीन क्षेत्रीय आयुर्वेद एवं यूनानी अधिकारी डॉ. महिपत सिंह और बाराबंकी के डॉ. श्यामलाल को शामिल किया गया है। इन दोनों ने बिना निविदा जारी किए सामान की खरीददारी की और घोटाला किया। कोर्ट ने इन्हें तीन-तीन साल की जेल और एक-एक लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है।

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इसके अतिरिक्त, 2002 से 2003 के बीच केंद्र सरकार द्वारा सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाने के लिए दिए गए 28 लाख रुपये का गबन करने वाले स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के तत्कालीन क्षेत्रीय निदेशक डॉ. जयकरन को तीन साल की जेल और 25 हजार रुपये के जुर्माने की सजा दी गई है।

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कानपुर में यूको बैंक की हालसी शाखा के पूर्व प्रबंधक केके मेहता ने 2005 में एफडीआर बुक चोरी कर फर्जी ड्राफ्ट बनाए थे और उसके जरिए 4.16 लाख रुपये का ऋण लेकर धोखाधड़ी की थी। सीबीआई ने उनके खिलाफ दो मामलों में शिकायत दर्ज की थी और दोषी पाए जाने पर उन्हें सात-सात साल की जेल और 8.25 लाख रुपये जुर्माने की सजा दी गई है। उनकी मदद करने वाले किदवईनगर शाखा के तत्कालीन प्रबंधक विजय कुमार को भी तीन साल की सजा और 50 हजार रुपये जुर्माने की सजा मिली है।

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