धर्म-कर्म: वक्त के समर्थ सन्त सतगुरु दुःखहर्ता बाबा उमाकान्त जी महाराज द्वारा- सतसंग एवं नामदान 10 अक्टूबर 2024 गुरुवार सायं 4 बजे से सतसंग स्थल-हनवंत मैरिज गार्डन, रेलवे अंडर ब्रिज के पास, पावटा बी रोड, जोधपुर, राजस्थान, (सम्पर्क 9413252151, 9928377055 ) तथा 12 अक्टूबर, शनिवार, प्रातः 10 बजे से और ध्यान-भजन-सतसंग 13 अक्टूबर, रविवार, प्रातः 05:30 बजे से स्थान- बाबा उमाकान्त जी महाराज आश्रम, बिछावाड़ी, आहोर-जालोर मेन रोड, साकरणा-गोदन के बीच, तहसील-आहोर, जिला जालोर, राजस्थान में समय परिस्तिथि अनुकूल होने पर होगा। अपने बल, विद्या, बुद्धि के बल पर देवताओं पर विजय प्राप्त कर लेने वाला लंकापति रावण कि जब बुद्धि भ्रष्ट हुई तब वह अत्याचार, अन्याय, पापाचार करने लग गया। फिर उसे वक्त के महापुरुष राम भगवान को युद्ध में मारना पड़ा। तभी से बराबर विजयदशमी (दशहरा) मनाया जा रहा है। लेकिन बहुत से लोगों को आज तक यह समझ में नहीं आया की रावण कैसे देवताओं को अपने वश में करके उनसे काम लेता रहा और कौन सी बुराई से उसका विनाश हुआ।
बाबा जी ने कहा कि, तीज-त्यौहार, दशहरा हर साल आता है, हम मानते हैं। सच्चे सन्त का सतसंग न मिलने के कारण शारीरिक, मानसिक, आर्थिक व आध्यात्मिक लाभ मनुष्य नहीं ले पाता। घर-घर में लड़ाई, झगड़ा, संक्रमण, जानलेवा बीमारी, सूखा, अकाल, बाढ़, भूकंप, जैसी तकलीफें झेलता रहता है। इन बातों को समझाने, बुराइयों को दहन करके अच्छा रास्ता बताने के लिए बाबा जयगुरुदेव जी महाराज के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी बाबा उमाकान्त जी महाराज अपने मुख्य आश्रम उज्जैन से जालोर (राजस्थान) आ रहे हैं। वक्त गुरु बाबा उमाकान्त जी महाराज अपने दिव्य अलौकिक सतसंग में ऐसा सरल उपाय बताएंगे कि जिससे संसार का सुख-समृद्धि मिले और नामदान लेकर ध्यान-भजन करने से इसी मनुष्य शरीर रुपी मंदिर में देवी-देवता व समर्थ प्रभु का दर्शन भी हो। आपको यह भी याद करा रहा हूँ कि बाबा जी इस वक्त धरती के ऐसे विलक्षण महात्मा है कि जिनके दर्शन करने अपनी बात कह देने से ही तकलीफों में आराम मिलने लगता है। अतः इस दशहरा पर्व पर आप सभी धर्म, जाति, भाषा, समाज के नर-नारी, बच्चे, युवा, बुजुर्ग गण इस आध्यात्मिक व कल्याणकारी सतसंग कार्यक्रम में पहुँचने के लिए सादर आमंत्रित करते हैं। ‘सन्त दरस को जाइए, तज माया अभिमान। ज्यों ज्यों पग आगे बढ़े, कोटिन यज्ञ समान ।।’ ‘तीरथ गए एक फल, सन्त मिले फल चार। सतगुरु मिले अनेक फल, कहत कबीर विचार ।।’ जो जीवों पर दया करेंगे, ईश्वर उनकी मदद करेंगे। हाथ जोड़ कर विनय हमारी, तजो नशा बनो शाकाहारी।
सतसंग में क्यों आना चाहिए
यह मनुष्य शरीर भगवान का बनाया हुआ मंदिर है। इसके अन्दर परमात्मा स्वयं निवास करता है। यह भगवान के भजन के लिए मिला है, कोई समर्थ गुरु मिल जाए तो प्रभु का दर्शन अंदर में मिल जाएगा। याद रखो ! श्वांस गिनकर खर्च करने के लिए मिला है। श्वांस कभी भी खतम हो सकता है। श्वांस पूरा होते ही शरीर धड़ाम से गिर जाएगा, लोग इसे मिट्टी कहकर जलाकर राख कर देंगे। बस खेल खत्म। सारा परिवार, धन-दौलत, घर-मकान यहीं पड़ा रह जाएगा। हाथ-पैर, आंख-कान, शरीर से जो पाप किया उसकी सजा नर्को में भोगनी पड़ जाएगी। सतसंग व सन्त के न मिलने के कारण इस समय पर सभी जाति व मजहब वाले लोग घर-घर में बीमारी, लड़ाई-झगड़ा, टेंशन से परेशान हैं। यह सत्य है कि जब प्रभु के जीव परेशान होते हैं तब समय-समय पर वह किसी न किसी महात्मा फकीर को भेजता है, जो इस धरती के दुःखी जीवों की तकलीफों को दूर करते हैं, देवी-देवताओं से बरकत दिलाते हैं और रास्ता बताकर इसी शरीर के अंदर में भगवान का दर्शन कराया करते हैं, ये सारी बातें धार्मिक किताबों में लिखी मिलती है।
खुशी की बात है कि निजधाम वासी बाबा जयगुरुदेव जी महाराज के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी बाबा उमाकान्त जी महाराज अपने मुख्य आश्रम उज्जैन से जोधपुर पधार रहे हैं। अतः आप सभी स्त्री-पुरुष, बच्चों से आग्रह है कि ऊपर लिखे हुए कार्यक्रम के अनुसार पधारकर दुःखहर्ता बाबा उमाकान्त जी महाराज का दर्शन कीजिये, उनके सतसंग को सुनकर अपने दुःख- तकलीफों को दूर करिए। बाबाजी नामदान यानी भगवान के दर्शन का उपाय भी बताएंगे। जान समझकर अपने ही घर में करते रहने से देवी-देवताओं का दर्शन होता है, अनहद वेद-वाणी सुनाई पड़ती है और जीवन का समय पूरा हो जाने पर नर्क-चौरासी में नहीं जाना पड़ता बल्कि अपने असली पिता परमात्मा के पास जीव पहुंच जाता है।