धर्म कर्म; इसी कलयुग में सतयुग लाने के मिशन में दिन-रात जुटे, इस समय के पूरे समरथ सन्त वक़्त गुरु दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि देखो मनुष्य ही एक ऐसा है, जो परोपकार कर सकता है। आपको परोपकार और सेवा का एक मौका मिला है। सबसे बड़ी सेवा यही है कि लोगों के अंदर सुधार, मानवता आ जाए, लोग शाकाहारी नशामुक्त ईश्वरवादी बन जाए, अध्यात्म को समझें, अध्यात्मवादी बन जाए, अपनी जीवात्मा का कल्याण कर लें, नरक चौरासी से छुटकारा पा जाएं, इस लक्ष्य के लिए हम आज आपसे प्रार्थना करेंगे। आप सब लोग अपने-अपने स्तर से, जो जितना कर सकते हैं, करें। यह बहुत बड़ा योगदान, परोपकार होगा। परिवर्तन की बेला है, परिवर्तन बदलाव होगा, इसमें दो राय नहीं है।
सतयुग का व्यापक प्रभाव सबसे पहले हिन्दुस्तान में दिखेगा
यह परिवर्तनशील संसार है। यहां बदलाव होता रहता है। सबसे पहले सतयुग, फिर त्रेता फिर द्वापर फिर कलयुग। इसका यह युग है। यह परिवर्तनशील संसार है। यहां बदलाव होता रहता है। एक युग के बाद दूसरा, तीसरा चौथा आता है। कलयुग में सतयुग आने की बात मिलती है। लिंग पुराण के 40वें अध्याय में, सूरसागर में, जगन्नाथ उड़िया किताब में लिखा है। हमारे गुरु महाराज बराबर कहते रहे, कलयुग में कलयुग जाएगा, कलयुग में सतयुग आएगा। अब सतयुग कैसे आएगा, क्या होगा, आज (के लघु सतसंग में) बताने का समय नहीं है। यदि सतयुग के लायक लोग नहीं रहेंगे, सतयुग जब आ जायेगा, उसे देखने वाले नहीं रहेंगे तो वो आकर क्या करेगा? इसलिए सतयुग के लायक लोगों को बनाने की जरूरत है। अगर दुनिया में सतयुग का व्यापक प्रभाव हुआ, पहले तो हिंदुस्तान में उतरेगा, उसका नजरा दिखेगा। देश में गौ हत्या बंद होते ही सतयुग की किरण, नजारा दिखाई पड़ने लगेगा।
सतयुग में कौन रहेंगे, कौन नहीं
कहीं भी, कोई भी मांस, मछली की, नशीले चीजों की दुकान नहीं होगी जिसे आदमी होश में नहीं रह जाता, मदहोश हो जाता, अपने-पराए की, मां-बहन की पहचान खत्म हो जाती, वह दुकाने नहीं रहेंगी। सतयुग योगी सब विज्ञानी। सब योगी विज्ञानी होंगे। वह समय आएगा लेकिन उसके लायक तो बनना पड़ेगा। तभी तो ब्रह्म का विचरण करने वाले ब्रह्मचारी बनेंगे। प्रार्थना किया गया आपसे की बनो ब्रह्मचारी। ब्रह्मचारी का मतलब यह नहीं की देश दुनिया की व्यवस्था खत्म कर दो, बच्चा न पैदा करो, ब्रह्मचारी का मतलब होता है- एक नारी ब्रह्मचारी, एक आहारी सदा व्रत धारी। सतयुग देखने के लिए ब्रह्मचारी बन करके, आहार, विहार, व्यवहार सही करके सतयुग को देखा जा सकता है तभी ब्रह्म में विचरण के लायक हो सकते हैं। इसलिए प्रार्थना किया गया कि ऐसा बनो और लोगों को बनाओ। परिवर्तन की बेला में रात को सोएंगे कुछ, सुबह कुछ और ही नजारा दिखाई पड़ेगा। कैसे बदलाव होता है? रात को आदमी सोता है, सुबह जब उठता है तब कुछ और नजारा दिखाई पड़ता है। पल में प्रलय होत है, बहुर करोगे कब। ऐसे पल में प्रलय हो जाता है। आदमी घर से यह सोच करके निकलता है कि हम वापस अपने बच्चों के बीच में आयेंगे लेकिन इस समय वापस लौट नहीं पाता है। ये क्या है? परिवर्तन ही है। परिवर्तन बदलाव होगा।
बच्चो को देश समाज का नियम व मानव धर्म सीखाने की जरूरत
बच्चे से आदमी उम्मीद करता है कि इनको हम पढ़ा लिखा लेंगे,योग्य बना लेंगे, यह एक दिन हमको कमाकर के लाएगा, खिलाएगा, हमारी सेवा करेंगे। लेकिन वह नहीं हो रहा है। यह माता-पिता की सेवा नहीं कर पा रहे हैं। यह जो धर्म को नहीं समझ पा रहे हैं, राष्ट्र, मानव,समाज का जो धर्म नियम बनाया गया उसे नहीं समझ पा रहे हैं, उनको सीखाने की जरूरत है।