धर्म कर्म; देश के भविष्य युवा पीढ़ी की चिंता करने वाले पक्के देशभक्त, इस समय के पूरे समरथ सन्त वक़्त गुरु दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि देश की रक्षा और सुरक्षा सर्वोपरि है। देश ही नहीं रहेगा तो रहेंगे हम कहां? देश अगर आगे बढ़ेगा, तरक्की करेगा, देश के लोग अगर आध्यात्मिक बन जाएंगे तो किसी भी देश में आप जाओगे, आपका पैर लोग छुएंगे की ये आध्यात्मिक देश से आये हैं। देश को ध्यान में रखते हुए भी हमको-आपको अपने समय में से समय निकालने की जरूरत है।
भारत के युवा नशीली गोलियों का सेवन करके जीवन को कर रहे बर्बाद
विशेष तौर से देश किसके ऊपर निर्भर करता है? देश का विकास, देश की आध्यात्मिकता किस पर निर्भर करती है? युवा वर्ग पर। युवाओं से लोगों को बड़ी उम्मीद होती है। लेकिन आज के युवा शराब, भांग, नशीली गोलियों के नशे में अपने जीवन, भविष्य को बर्बाद कर दे रहे हैं। इस पर आप लोगों का ध्यान देना चाहिए।
देश-समाज सुधार के काम में लगो, युवाओं को नशीली चीजों से दूर रहने कि सलाह दो
अपनी-अपनी योजना बनानी चाहिए जिसके इनके अंदर जो नशे वाली बुराइयां आ रही हैं, वह खत्म हो जाए। ऐसा नशा इनके अंदर चढ़ाने की जरूरत है, जो अलग से हैं मस्ती में डूबे, होश कब है उन्हें जिंदगी का। जो हमेशा मस्त रहते हैं, जब अध्यात्म की मस्ती चढ़ जाती है, जब ऊपरी लोकों का रस मिलने लगता है, जब जीवात्मा अमीय रस का पान करने लगती है तब ये दुनिया के नशे फीके लगते हैं। करले निज काज जवानी में, इस दो दिन की जिंदगानी में। निज काज यानी आपका वो असली काम, जो हमेशा आपके यहां काम आवे, उपर भी काम आवे, आपके बच्चों परिवार मित्रों साथियों के काम आवे, तो उस काम को क्यों न बताया कराया जाए कि अपना काम करो। यह दुनिया के काम जो कर रहे हो, सब यहीं छूट जाएगा। शरीर छोड़ने के बाद यह कोई काम नहीं आएगा, इसके लिए प्रेरणा दिया जाए लोगों को।
अध्ययन करो, सामाजिक व्यवस्था कैसी है, नशीली गोलियों की पुड़िया लिए हुए मिलेगे पार्कों के पास
लोगों के समझ में मुख्य रूप से कब आएगा? जब नशीली चीजों का सेवन छोड़ेंगे। इनका खान-पान गलत हो रहा है जिससे इनके अन्दर जल्दी क्रोध आ जाता है, जब वो नशा छूटेगा तब यह बच्चे सुधर पाएंगे, राम, कृष्ण, गौतम बुद्ध, नानक बन पाएंगे। नहीं तो इनसे क्या उम्मीद करोगे आप? गलत बच्चों के साथ पड़ गया, घर से तो निकले बच्चे और ध्यान न दिया गया तो देखो, छोटे-छोटे बच्चे देखने में तो सिगरेट पीते हैं (लेकिन खोलो तो पाओगे नशे की पुडिया है)। नशे की आदत बन गई, ऐसे छूटने वाली नहीं। आए दिन पेपर में आता रहता है। शराब पीने के लिए पैसे नहीं दिए तो दोनों भाइयों ने अपने बाप को मार दिया। शराब तो अपराध और भ्रष्टाचार की जननी है। इन चीजों को जड़ से ही क्यों न खत्म कर दिया जाए जिससे सबके लिए सुख-शांति का रास्ता निकल आवे। नहीं तो देश का भविष्य अच्छा नहीं है, आज मैं आपको बात करके जा रहा हूं।