UP: गिरिराज पर्वत की तलहटी में द्वापर युग की परंपरा के अनुसार भव्य पूजा का आयोजन हुआ। माखन-मिश्री की मटकी और छप्पन भोग की टोकरियों के साथ देश-विदेश से आए भक्त गोवर्धन पर्वत पर पहुंचे। गिरिराज धाम में भक्तों की भारी भीड़ भजनों की धुन पर गोवर्धन महाराज का गुणगान करते हुए उनके पूजन में लगी हुई है। हर ओर भक्तों के जयकारों की गूंज सुनाई दे रही थी।

उमड़ा आस्था का सैलाब:-
गोवर्धन की परिक्रमा में भक्तों का ऐसा जनसैलाब उमड़ा कि हर ओर भीड़ ही दिखाई दे रही थी। गिरिराज धाम में इस पूजा ने द्वापर युग की यादें ताजा कर दीं। कहा जाता है कि, इसी स्थान पर भगवान श्रीकृष्ण ने ब्रजवासियों के साथ गोवर्धन पर्वत की पूजा की थी। आज देश-विदेश से आए भक्तों ने गिरिराज जी के समक्ष छप्पन भोग अर्पित किए। परिक्रमा मार्ग में जगह-जगह फूल बंगले और ठाकुर जी के अद्भुत शृंगार के दर्शन हुए। गौड़ीय मठ के भक्त सिर पर छप्पन भोग की टोकरी रखकर मानसी गंगा की परिक्रमा करते हुए राजा वाले मंदिर तक पहुंचे।

अन्नकूट महोत्सव का महत्व:
पौराणिक कथा के अनुसार, द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने इन्द्र के अहंकार को तोड़ते हुए ब्रजवासियों से गोवर्धन पर्वत की पूजा कराई थी। ब्रजवासियों ने अन्नकूट के व्यंजन बनाकर पर्वत को अर्पित किए, और श्रीकृष्ण स्वयं गोवर्धन पर्वत में प्रवेश कर अन्नकूट का भोग लगाया। तब से यह परंपरा चली आ रही है और अन्नकूट महोत्सव गोवर्धन पूजा के साथ मनाया जाता है। परिक्रमा में भक्तों की भीड़ इतनी अधिक थी कि चारों ओर मानव श्रृंखला जैसी दृश्य बन गई। भक्तों ने गिरिराज दानघाटी मंदिर, आन्यौर, पूंछरी, जतीपुरा, मानसी गंगा होते हुए परिक्रमा पूरी की। जगह-जगह अन्नकूट महोत्सव का प्रसाद वितरित किया गया, जिससे भक्तों ने प्रसादी ग्रहण कर महोत्सव का आनंद लिया।

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