Bhai Dooj 2024: धनतेरस से शुरू होकर भाई दूज तक चलने वाले दीपोत्सव का समापन अब करीब है। इस साल भाई दूज 3 नवंबर को मनाई जा रही है। यह त्योहार भाई-बहन के रिश्ते को और मजबूत करने के लिए समर्पित है। भाई दूज का पर्व साल में दो बार आता है—पहली बार होली के बाद और दूसरी बार दीपावली के बाद। इस त्योहार में बहनें अपने भाई के माथे पर तिलक करती हैं और आरती उतारती हैं, जबकि रक्षाबंधन में राखी बांधी जाती है। इस दिन कई मंदिरों में भाई-बहन एक साथ पूजा कर सकते हैं, जिससे रिश्तों में और मधुरता आती है।

मथुरा का यमुना धर्मराज मंदिर:
मथुरा के घाट पर स्थित यह मंदिर यमराज और उनकी बहन यमुना माता को समर्पित है। यहां भाई-बहन साथ में यमुना नदी में स्नान कर, मंदिर में दर्शन करते हैं, जिससे रिश्ते और मजबूत होते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

भैया बहिनी गांव, बिहार:
सिवान जिले के इस गांव में भाई-बहन के एक प्राचीन मंदिर के कारण गांव का नाम भैया बहिनी पड़ गया है। यहां सदियों पुराना वटवृक्ष भी है, जिसकी जड़ें अनजानी हैं। भाई-बहन इस पेड़ की परिक्रमा करते हैं, जिससे रिश्तों की गहराई बढ़ती है।

बिजनौर का भाई-बहन मंदिर:
बिजनौर के चूड़ियाखेड़ा के जंगल में एक प्राचीन मंदिर है, जहां सतयुग में एक भाई-बहन के प्रतीक स्वरूप भगवान की प्रतिमा स्थापित है। मान्यता है कि भाई-बहन की रक्षा की प्रार्थना पर दोनों पत्थर की प्रतिमा में बदल गए, जो आज भी वहां देखी जा सकती हैं।

उत्तराखंड का बंसी नारायण मंदिर:
उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित बंसी नारायण मंदिर साल में एक बार खुलता है। ऐसी मान्यता है कि, भगवान विष्णु वामन अवतार के बाद यहां प्रकट हुए थे। भाई दूज पर बहनें यहां अपने भाई को तिलक कर सकती हैं।

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