धर्म कर्म; वक़्त गुरु परम सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज ने दीपावली कार्यक्रम में उज्जैन आश्रम में दिए संदेश में बताया कि जहां लड़ाई हो रही और लड़ाई के लिए तैयार देशों के रहनुमओं से हम प्रार्थना करेंगे कि आप लोग शांति का रास्ता निकाल लीजिए और शांति के पथ पर चलिए जिससे जन-धन की हानि न हो।
विनाश के परिणामों से बचने की आवश्यकता
आदमी एक तरफ चले जाएं और दूसरी तरफ का नुकसान हो जाए, जमीन न रह जाए, गड्ढा बन जाए, रहने के लिए मकान न रह जाए, जरूरत की चीजें बाजारों में जहां मिलती हैं, वह न रह जाए, मनुष्य के फायदे के लिए जो जानवर बनाए गए, यह न रह जाए तो आदमी क्या खाएगा? कहां रहेगा? क्या करेगा? इसको सोचने की जरूरत है। धन-सम्पत्ति की भी हानि होगी तो आदमी जान बचाने पर भी सुखी नहीं रह सकता। इसलिए दोनों चीजे इस वक्त पर बचाना जरूरी है।
विश्व युद्ध की रूपरेखा बनाने वालो को बुला करके शांति का रास्ता निकाले तो रास्ता निकल आएगा नहीं होगा विनाश
और उन्हीं देश के लोगों को, जो जिम्मेदार लोग हैं, बुला करके, बैठा करके बात करें। जो इस समय पर लड़ाई करके विश्व युद्ध की रूपरेखा बनाने के लिये कमर कस करके तैयार हैं, उनको बुला करके, जिम्मेदार लोग रास्ता निकाले तो रास्ता निकल सकता है नहीं तो विनाश काले विपरीत बुद्धि। बुद्धि विपरीत हो जाएगी फिर विनाश होगा।