धर्म कर्म; वक़्त गुरु यानी जो अभी मनुष्य शरीर में हैं, ऐसे इस समय के पूरे समरथ वक़्त गुरु दुःखहर्ता उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने कई देशों में रह रहे, अपने भक्तों की विदेश एनआरआई संगत को अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित ऑनलाइन संदेश में बताया कि यह परिवर्तनशील संसार है। यहां बदलाव होता रहता है। अच्छाई रहती है और बुराई का भी बीज पड़ा रहता है। जब लोगों का खान-पान, चाल-चलन बिगड़ता है तब बुराइयां बढ़ जाती हैं, लोगों के कर्म खराब हो जाते हैं, प्रकृति भगवान के खिलाफ आदमी काम करने लगता है तब उसकी सजा मिल जाती है।
जैसे धरती का नियम वैसे प्रकृति का नियम तोड़ने पर मिलेगी सजा
उसके पास रक्षा करने और सजा देने के भी बहुत तरीके हैं। वह लेना और देना दोनों जानता है। कौन? जिसके देश में हम-आप रहते हैं। आप विभिन्न देशों में रहते हो। आदमी ने देशों को बनाया, बंटवारा किया, बसाया, व्यवस्था देख रहा है लेकिन यह पूरी दुनिया जिसे मृत्यु लोक, पिंड देश कहा गया, इसे किसने बनाया? जिसको लोग भगवान ईश्वर कहते हैं, उसने बनाया, वह बनाना और बिगड़ता दोनों जानता है। जैसे जब आप अपने देश के नियम का पालन करते हो तो आपसे कोई कुछ नहीं कहता है लेकिन जब नियम तोड़ते हो तब वहां सजा के भागीदार हो जाते हो। ऐसे ही जो उनके नियम को तोड़ते हैं, उनको सजा मिलती है।
परिवर्तनशील संसार में भगवान के नियमों का करे पालन
इस समय भगवान के नियम को लोग खत्म कर देने में लगे हुए हैं। प्रकृति के खिलाफ करने की लोगों की आदत बन गई है। इंद्रियों के सुख, भोग के लिए आदमी बिल्कुल अंधा सा हो रहा है, जानकारी नहीं या कोई बताने वाला नहीं मिल रहा है। आप लोग सतसंग सुनते रहते हो, सतसंग में आते-जाते रहते हो, बताया गया भजन ध्यान सुमिरन करते हो, आप भ्रम-भूल में मत पड़ जाना कि ये हमारे पड़ोसी हमारे देश के हैं, हमारे साथ काम करते हैं, इनके पास मैं उठता-बैठता हूं, जो यह करते हैं वही मैं भी करूं। किसी भी लोभ-लालच में उनके साथ पड़ जाओगे, उनके जैसी आपकी भी आदत हो जाएगी, आप भी भगवान के नियम के खिलाफ काम करने लगोगे तो आप भी सजा के भागीदार हो जाओगे।
अन्न दोष, संग दोष और स्थान दोष से बचे
नियम के खिलाफ काम करने पर सजा सबको मिलती है। जैसे मारने-काटने, अपराध में जो भी चीजें आती है, कोई भी करता है, उन्हें सजा मिलती है। इसलिए आपको अन्न दोष, संग दोष और स्थान के दोष से बचना है। बहुत से लोग नहीं देखते हैं की अन्न कैसा है, कहां बना है, कौन बनाया है, (उसी बर्तन में) मांस पकता है या शाकाहारी बनाता है। पेट भरने के लिए ध्यान नहीं देते हैं और खा-पी लेते हैं। उसका असर आ जाता है। खराब खून बनता है। बुद्धि पर सीधा असर पड़ता है। इसलिए समझो, मांसाहार, अंडा मछली है, जिससे जीव की हत्या होती है, वैसा भोजन नहीं खाना है। जीव हत्या में भागीदार नहीं बनना है। क्योंकि जो जानवरों को मारता-काटता-लाता-पकता-बनाता-खाता-खिलाता सबको बराबर पाप लगता है। बच्चे और बच्चियो! पाप से बचना। पाप का बहुत बड़ा बोझा होता है। पाप के बोझ से दब जाओगे फिर उठना मुश्किल हो जाएगा।
बुरे लोगो में अपना भाव, भक्ति, प्रेम का रंग चढ़ा दो, उनका रंग आपके ऊपर न चढ़ने पावे
ऐसे नशे का सेवन, जो लोगों ने फैशन बना लिया, जिनको जानकारी नहीं है या जानकारी होते हुए भी मन के, आदत के गुलाम बन गए, ऐसे नशे का सेवन करते हैं जिससे वो होश में नहीं रह जाते, बुद्धि खराब हो जाती है। आप इसमें मत फंसना। आपको यह बात समझ में आ जाना चाहिए। साथ का असर होता है, साथ का रंग बहुत जल्दी चढ़ता है। मांसाहारी शराबियों के बीच में आना-जाना पड़ेगा, लेकिन उनका रंग आपके ऊपर चढ़ने न पावे। आप अपना भाव भक्ति प्रेम का रंग उन पर चढ़ा दो।