धर्म कर्म; परम सन्त बाबा जयगुरुदेव जी महाराज ने 16 मई 2007 को जिला उन्नाव में अपने बाद के वक़्त गुरु और उनके बाद के भी वक़्त गुरु और इसी तरह चलने वाली सन्त मत की परम्परा के बारे में स्पष्ट कर दिया था, तो गुरु को मानो और गुरु की न मानो तो कैसे गुरु की दया कृपा मिलेगी, तो गुरूजी महाराज के वचनों को बार-बार याद दिलाने वाले, वर्तमान में अपने गुरु के आदेश से, उनकी ही पॉवर से गद्दीनशीन वक़्त गुरु दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि जीव हत्या, आत्महत्या की माफी नहीं होती। अभी आत्महत्या आम बात होती चली जा रही है। यह बुजदिली है। हिम्मत का काम नहीं है। यही सोच रहे कि मर जाओ तो सब झंझट से छुटकारा हो जाएगा। उसको क्या पता है कि मरने के बाद और तकलीफ होने वाली है। भूत बन जाएंगे, भूखे-प्यासे रहेंगे। जहां जाएंगे (अपने से तगड़े भूतों से) मार खाएंगे क्योंकि भूतों की कमी नहीं है। यह तो उनको पता है नहीं। बस आसानी से आत्महत्या कर लेते हैं। आत्महत्या तो कभी करना मत। आत्महत्या करना बहुत बड़ा पाप है। जैसे जीव हत्या की माफी नहीं होती है, सजा भोगनी पड़ती है ऐसे ही आत्महत्या की माफी नहीं होती है। भूत-प्रेत की योनि में जाना ही पड़ता है।

प्रेमियो! विश्वास करो उस दाता गुरु प्रभु पर, जो सबको देते हैं, आपको भी देंगे

आदमी चाहे बीमारी, लड़ाई-झगड़ा, कर्जा, धोखेबाजी किसी से भी ऊब जाता है, बहुत चाहने लगता है कि हमारे पास धन हो जाए। धन अचानक चला गया, मान-सम्मान इज्जत बहुत ज्यादा चाहता है तो जब बेईज्जती हो जाती है तब कहता है हम कैसे मुंह दिखावे? तब वह आत्महत्या के लिए सोचता है। तो भाई बहुत की इच्छा क्यों रखो? प्रभु पर विश्वास क्यों न करो, जो सबका दाता है, सबको देता है। जो गुरमुख हो, गुरु महाराज से नाम दान लिया, उनके बाद के नाम दानी हो, इस चीज को क्यों भूल रहे हो? देने वाले जो समरथ गुरु है, वह देंगे, देते ही हैं। उन पर विश्वास करो। विश्वास करोगे तो सब मिलेगा। जो चीज प्रारब्ध में नहीं थी, उम्मीद भी नहीं थी, वह गुरु महाराज ने दिया। ये मैं आपको 50-55 साल का अनुभव, जब से गुरु महाराज के पास आया था तब से 2012 तक के समय का अनुभव बता रहा हूं।

माताओं के लिए

महाराज जी ने बताया कि माताओं को बच्चों को स्तनपान कराना चाहिए। छाती से चिपकाने, प्रेम देने के वैज्ञानिक फायदे होते हैं। एक आया बच्चों की केवल बाहरी देखभाल कर पाती है लेकिन उनमें इस तरह से शक्ति नहीं भर पाती। अगर बच्चों को प्रेम नहीं दोगी, शक्ति नहीं भरोगी तो उनसे आगे सेवा की उम्मीद भी मत रखना। गुरु पर विश्वास करो तो वो संभाल करते हैं। ऐसा भी हुआ है की खेती करने वाला प्रेमी अपने खाद खरीदने के लिए रखे पैसों से सतसंग कार्यक्रम में चला गया, सोचा अब पैदावार बहुत कम होगी, हम गरीब कहाँ से और लायेंगे तो गुरु महाराज सतसंग में ही कह दिए कि कोई जरुरत नहीं खाद डालने की। यहाँ की मिटटी ले जाना और अपने खेत में बिखरा देना। कई गुना पैदावार हुई। गुरु सब संभाल करते हैं। एक बार गोंडा जिले में सब अपने-अपने खेतों में लगी आग बुझाने में लगे रहे और एक वृद्ध प्रेमी सतसंगी तो केवल गुरु महाराज से प्रार्थना ही करता रहा, अकेले उसके बस की नहीं थी। दया हुई और ठंडी होने पर लोगों ने अपने खेतों की फली को देखा तो केवल राख और उस प्रेमी के खेतों में फली का केवल छिलका जला, अंदर दाना साबुत बचा रहा। विश्वास फलदायकम, समझ लो।

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