Lucknow: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार पर बिजली विभाग में सुधार को लेकर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि सपा सरकार के कार्यकाल में भी विद्युत निगमों को पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) मॉडल पर चलाने का प्रस्ताव लाया गया था, लेकिन अभियंताओं के विरोध के कारण इसे लागू नहीं किया जा सका। उस समय यह प्रस्ताव पांच शहरों के लिए तैयार किया गया था।
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पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन के कार्यवाहक अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने बिजली निगमों के प्रबंधन पर आरोप लगाया कि एमओयू (मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग) करते समय घाटे को नजरअंदाज किया गया। इसके कारण हर साल घाटा बढ़ता गया। उन्होंने स्मार्ट प्रीपेड मीटर योजना का उदाहरण देते हुए बताया कि यह योजना लगभग 18 हजार करोड़ रुपये की थी, लेकिन इसका टेंडर 27 हजार करोड़ रुपये से अधिक का निकाला गया। इस प्रकार नौ हजार करोड़ रुपये का अंतर भविष्य में घाटे को और बढ़ाएगा।
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उन्होंने यह भी कहा कि उदय योजना और पावर फॉर ऑल योजना में गलत नीतियों के चलते राजस्व घाटा बढ़ा। इसके अलावा, कॉर्पोरेशन के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर ने कंपनियों की बैक गारंटी को 10 प्रतिशत से घटाकर तीन प्रतिशत कर दिया, जिससे भी समस्याएं बढ़ी हैं।