UP News: उत्तर प्रदेश में हाल ही में हुए विधानसभा उपचुनावों में 9 में से 7 सीटें जीतकर भाजपा ने एक बार फिर अपनी ताकत का प्रदर्शन किया। अब योगी सरकार की नजरें 2027 के विधानसभा चुनावों पर हैं, और इसी के तहत कैबिनेट विस्तार और फेरबदल की सुगबुगाहट तेज हो गई है। माना जा रहा है कि प्रदर्शन में पिछड़ने वाले मंत्रियों की छुट्टी होगी, जबकि नए और प्रभावशाली चेहरों को मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा।
कैबिनेट विस्तार की संभावनाएं
सूत्रों के मुताबिक, कैबिनेट विस्तार की रूपरेखा दिल्ली में जनवरी 2024 में होने वाले विधानसभा चुनावों के बाद तय की जाएगी। इस फेरबदल का उद्देश्य न केवल 2027 के विधानसभा चुनावों की तैयारी करना है बल्कि 2024 के लोकसभा चुनाव में ओबीसी और दलित मतदाताओं को फिर से भाजपा के पक्ष में एकजुट करना भी है।
ओबीसी और दलित चेहरों को प्राथमिकता
2024 के लोकसभा चुनावों में ओबीसी और दलित मतदाताओं के भाजपा से दूरी बनाने के संकेतों को देखते हुए, योगी सरकार इस बार इन वर्गों से आने वाले प्रभावशाली नेताओं को मंत्रिमंडल में शामिल करने पर जोर देगी। हाल के उपचुनावों में जीत के बाद पार्टी के प्रदर्शन में इस रणनीति की झलक पहले ही दिखाई दी है।
नए चेहरों को मिलेगा मौका
उपचुनावों में जीते कुंदरकी और अंबेडकर नगर की कटेहरी सीट से भाजपा विधायकों को कैबिनेट में जगह मिलने की संभावना है। इसके अलावा, संगठन के भीतर सक्रिय और बेहतर प्रदर्शन करने वाले चेहरों को भी सरकार में शामिल किया जा सकता है।
अनुजेश यादव का मंत्री बनना चर्चा में
भाजपा के लिए सबसे दिलचस्प नाम करहल से हारने वाले उम्मीदवार अनुजेश यादव का है। मुलायम सिंह यादव के दामाद और तेज प्रताप यादव से चुनाव हारने के बावजूद उन्हें मंत्री बनाए जाने की अटकलें तेज हैं। पार्टी यादव समुदाय को उनके गढ़ में घेरने की रणनीति के तहत इस कदम पर विचार कर रही है।
कौन होंगे बाहर?
जो मंत्री अब तक बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाए हैं, उनकी कैबिनेट से विदाई तय मानी जा रही है। पार्टी और सरकार, दोनों ही स्तरों पर इन मंत्रियों के कार्यों की समीक्षा की जा रही है। ऐसे मंत्रियों को संगठन में नई जिम्मेदारियां सौंपी जा सकती हैं।
सहयोगी दलों का दबाव
भाजपा के सहयोगी दल, जैसे निषाद पार्टी और राष्ट्रीय लोक दल (रालोद), भी मंत्रिमंडल में अधिक प्रतिनिधित्व के लिए जोर दे रहे हैं। मीरापुर सीट जीतने के बाद रालोद एक और मंत्री पद की मांग कर सकता है, जबकि निषाद पार्टी भी कैबिनेट में अपनी भागीदारी बढ़ाने की कोशिश में है।
फेरबदल की वजह
उपचुनावों में प्रदर्शन: भाजपा ने 9 में से 7 सीटों पर जीत दर्ज की है, और अब इन क्षेत्रों में मजबूत प्रतिनिधित्व देने के लिए नए चेहरों को शामिल किया जाएगा।
2027 की तैयारी: पार्टी अब से ही 2027 विधानसभा चुनावों की रणनीति तैयार कर रही है।
संगठन और सरकार के बीच संतुलन: संगठन के भीतर सक्रिय कार्यकर्ताओं को सरकार में जिम्मेदारी देकर बेहतर तालमेल स्थापित करने की कोशिश होगी।
कैबिनेट विस्तार की टाइमलाइन
फेरबदल और विस्तार की प्रक्रिया दिल्ली विधानसभा चुनावों के बाद तेजी से आगे बढ़ेगी। भाजपा की शीर्ष नेतृत्व के साथ बैठक के बाद योगी कैबिनेट के नए स्वरूप को अंतिम रूप दिया जाएगा।
भविष्य की रणनीति
योगी सरकार का यह कैबिनेट विस्तार भाजपा की दीर्घकालिक रणनीति का हिस्सा है, जिसका लक्ष्य 2024 के लोकसभा और 2027 के विधानसभा चुनावों में प्रभावी प्रदर्शन करना है। दलित, ओबीसी और युवाओं को साथ लेकर पार्टी न केवल राजनीतिक समीकरण साधने की कोशिश करेगी बल्कि उत्तर प्रदेश में अपनी पकड़ और मजबूत करेगी।