bangladesh violence 2024: बांग्लादेश में हाल ही में हुए तख्तापलट के बाद अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के खिलाफ बढ़ती हिंसा को लेकर भारत में गुस्सा और चिंता बढ़ती जा रही है। इसके खिलाफ विपक्षी दलों से लेकर राजनीतिक नेताओं की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हो रही हिंसा को लेकर बसपा सुप्रीमों मायावती ने भी अपनी चिंता जताई है।
मायावती की मांग…
मायावती ने ‘एक्स’ (ट्विटर) पर लिखा कि बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद हिंदू अल्पसंख्यकों पर हो रही हिंसा और जुल्म-ज्यादती अत्यंत दुखद और चिंताजनक है। उन्होंने कहा, “भारत में लोगों में इस मुद्दे को लेकर काफी आक्रोश है और सरकार को इस पर संसद में वक्तव्य देना चाहिए। साथ ही सरकार को इस पर उचित कदम उठाने चाहिए।”
पड़ोसी देश बांग्लादेश में तख़्ता पलट होने के बाद वहाँ नई सरकार में ख़ासकर हिन्दू अल्पसंख्यकों पर हो रही हिंसा व जुल्म-ज्यादती आदि तथा उससे वहाँ बिगड़ते हालात अति-दुखद व चिन्ताजनक। इसको लेकर भारत के लोगों में काफी आक्रोश। सरकार इस पर संसद में वक्तव्य दे व उचित कदम भी उठाए।
— Mayawati (@Mayawati) December 3, 2024
मायावती की इस प्रतिक्रिया से यह स्पष्ट है कि उन्होंने भारतीय सरकार से बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और उनके खिलाफ हो रही हिंसा के खिलाफ सख्त कदम उठाने की मांग की है। यह बयान उस समय आया है जब बांग्लादेश में हिंदू संतों की गिरफ्तारी, धार्मिक स्थलों पर हमले और हिंदू घरों और दुकानों पर कब्जा करने के मामले सामने आए हैं।
ममता बनर्जी की प्रतिक्रिया…
वहीं, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी इस मामले पर मुखर हो गई हैं। उन्होंने बंगाल विधानसभा का सत्र बुलाकर बांग्लादेश में यूएन शांति सेना की तैनाती की मांग की है। ममता का यह कदम बांग्लादेश में हिंसा और बिगड़ते हालात पर भारत के किसी राज्य से की गई पहली आधिकारिक मांग है। ममता ने इस मुद्दे को बेहद गंभीर बताते हुए कहा कि भारत को बांग्लादेश में शांति स्थापित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को सक्रिय करना चाहिए।
बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर हिंसा…
बांग्लादेश में हाल के दिनों में हिंदू समुदाय के खिलाफ हिंसा में तेज़ी आई है। हिंदू संतों को गिरफ्तार किया जा रहा है, धार्मिक स्थलों पर हमले हो रहे हैं, और हिंदू परिवारों के घरों और दुकानों पर कब्जा किया जा रहा है। इन घटनाओं ने बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यक समुदाय की स्थिति को और भी कठिन बना दिया है। भारत में भी इस मुद्दे को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं और सरकार से अधिक सक्रियता की मांग की जा रही है।