कोर्ट ने कुलदीप सेंगर को यह निर्देश भी दिया है कि वह पीड़िता या उसके परिवार के सदस्यों से संपर्क करने की कोशिश न करें और उन्हें जांच अधिकारी के साथ प्रतिदिन संपर्क में रहने की आवश्यकता होगी। ये निर्देश इसलिए दिए गए हैं क्योंकि पहले पीड़िता के परिजनों ने सेंगर पर धमकाने और हमले कराने के आरोप लगाए हैं।
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2017 में नाबालिग लड़की के अपहरण और रेप के मामले में सेंगर को दोषी ठहराया गया था और निचली अदालत ने उन्हें सश्रम कारावास की सजा सुनाई थी। इसके अलावा, पीड़िता के पिता की पुलिस हिरासत में मौत के मामले में भी सेंगर को दोषी मानते हुए 10 साल की सजा सुनाई गई थी और उन पर 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया था।
कुलदीप सेंगर पहले भाजपा से विधायक थे, लेकिन 2019 में पार्टी ने उन्हें निष्कासित कर दिया था, जिसके बाद उनकी विधायकी भी चली गई। उस समय सुप्रीम कोर्ट ने रेप पीड़िता और उसके परिवार के सदस्यों को CRPF की सुरक्षा भी मुहैया कराई थी।