UP: उत्तर प्रदेश सरकार ने अगले छह महीने तक अनिवार्य सेवा अनुरक्षण क़ानून (ESMA) लागू कर दिया है। इस कानून के तहत अगले छह महीने तक राज्य में किसी भी प्रकार की हड़ताल पर रोक लगा दी गई है। सरकार के इस फैसले पर समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव ने तीखी प्रतिक्रिया दी है और इसे राज्य के बिगड़ते हालात का प्रतीक बताया है।
अखिलेश यादव का बयान:-
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर लिखा कि “एस्मा लागू करना इस बात का सबूत है कि उत्तर प्रदेश में हालात लगातार खराब हो रहे हैं।” उन्होंने भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि, “भाजपा जोड़-तोड़ और हेराफेरी से सरकार तो बना लेती है, लेकिन उसे सही तरीके से चलाना नहीं आता।”
उप्र सरकार का ये फ़रमान अपने आप में उप्र में लगातार बढ़ते ख़राब हालातों को बयां कर रहा है कि अगले 6 महीनों तक अनिवार्य सेवा अनुरक्षण क़ानून (ESMA) के तहत हड़ताल पर प्रतिबंध होगा।
सच्चाई ये है कि भाजपा को जोड़-तोड़ और हेराफेरी से सरकार बनाना तो आता है पर भ्रष्ट आचार-विचार के कारण…
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) December 8, 2024
सरकार पर पाबंदी लगाने का आरोप:-
अखिलेश यादव ने सरकार पर कर्मचारियों और अधिकारियों की आवाज दबाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सरकार को पता है कि “कर्मचारियों और अधिकारियों के बीच असंतोष का सुषुप्त ज्वालामुखी किसी भी समय फट सकता है।” इसी डर से सरकार ने हड़ताल पर रोक लगाने का यह कदम उठाया है।
नीतियों पर असंतोष:-
सपा प्रमुख ने कहा कि सरकारी और अर्धसरकारी संस्थानों में काम करने वाले कर्मचारी सरकार की नीतियों से परेशान हैं। यह असंतोष किसी भी समय बड़े आंदोलन का रूप ले सकता था, इसलिए सरकार ने एहतियातन यह प्रतिबंध लगाया। अखिलेश यादव ने कहा कि सरकार का यह फैसला राज्य में बढ़ते खराब हालात की पोल खोलता है। “छह महीने तक हड़ताल पर रोक लगाने का यह कदम दर्शाता है कि सरकार अपने कर्मचारियों के असंतोष को दबाने की कोशिश कर रही है।”
सरकार की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं:-
अब तक सरकार की ओर से अखिलेश यादव के इस बयान पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि, ESMA लागू करने का मकसद यह बताया गया है कि जरूरी सेवाएं बाधित न हों और प्रशासनिक कामकाज सुचारू रूप से चलता रहे। ESMA लागू होने के बाद राज्य में कर्मचारियों और सरकार के बीच असंतोष और टकराव की स्थिति गहराने की संभावना है।