76th Republic Day: भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों की घोषणा गणतंत्र दिवस से पहले कर दी गई है। इस वर्ष, 139 व्यक्तियों को पद्म श्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया है। इनमें कई गुमनाम नायक भी शामिल हैं, जिन्होंने समाज के विभिन्न क्षेत्रों में अद्वितीय योगदान दिया है। कला, सामाजिक कार्य, विज्ञान, शिक्षा, खेल, और सिविल सेवा जैसे क्षेत्रों में योगदान के लिए ये पुरस्कार प्रदान किए जाते हैं। इन गुमनाम नायकों की कहानियां देश के हर नागरिक को प्रेरित करती हैं। पद्म पुरस्कार न केवल उनके प्रयासों को पहचान देते हैं, बल्कि समाज के हर वर्ग को यह संदेश देते हैं कि सेवा और समर्पण से बड़ा कोई कार्य नहीं।
पुरस्कारों का विवरण:-
पद्म विभूषण: असाधारण और विशिष्ट सेवा के लिए।
पद्म भूषण: उच्च कोटि की विशिष्ट सेवा के लिए।
पद्म श्री: किसी भी क्षेत्र में विशिष्ट सेवा के लिए।
इस वर्ष:
7 व्यक्तियों को पद्म विभूषण।
19 व्यक्तियों को पद्म भूषण।
113 व्यक्तियों को पद्म श्री से सम्मानित किया गया।
23 महिलाएं और 13 मरणोपरांत नाम शामिल हैं।
10 विदेशी/एनआरआई/पीआईओ/ओसीआई श्रेणी के व्यक्तियों को भी यह सम्मान दिया गया है।
गुमनाम नायकों की प्रेरक कहानियां:-
आजादी की बुलंद आवाज: लीबिया लोबो सरदेसाई (100 वर्ष)
गोवा की स्वतंत्रता सेनानी लीबिया लोबो ने 1955 में भूमिगत रेडियो स्टेशन “वोज दा लिबरदाद” की शुरुआत की। उन्होंने पुर्तगाली शासन के खिलाफ आंदोलन को बल दिया। 1961 में गोवा की आजादी के दौरान उन्होंने भारतीय वायुसेना के जरिए पर्चे गिराकर स्वतंत्रता का संदेश फैलाया।
योग को खाड़ी में पहचान दिलाने वाली शैखा एजे अल सबा (48 वर्ष)
कुवैत की शैखा ने योग को खाड़ी देशों में लोकप्रिय बनाने में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने योग शिक्षा लाइसेंस की शुरुआत की और गरीब बच्चों की शिक्षा व सहायता के लिए भी काम किया।
ब्राजील के वेदांत गुरु: जोनास मसेटी (43 वर्ष)
इंजीनियर से वेदांत शिक्षक बने जोनास मसेटी ने ब्राजील में वेदांत और गीता की शिक्षा देकर डेढ़ लाख छात्रों को प्रेरित किया।
मुसहर समाज के मसीहा: भीम सिंह भावेश (61 वर्ष)
पत्रकार भीम सिंह ने भोजपुर और बक्सर जिलों में मुसहर समुदाय के लिए शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया। उन्होंने 8,000 से अधिक बच्चों को स्कूलों में नामांकित करवाया।
सर्वाइकल कैंसर उन्मूलन में अग्रणी: प्रो. नीरजा भाटला (65 वर्ष)
एम्स दिल्ली की प्रोफेसर नीरजा भाटला ने सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम और टीकाकरण के लिए 35 वर्षों तक काम किया।
थविल संगीत के संरक्षक: पी दच्चनामूर्ति (68 वर्ष)
दक्षिण भारतीय वाद्य यंत्र थविल के विशेषज्ञ पी दच्चनामूर्ति ने इस कला को नई पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए पांच दशकों तक काम किया।
फल उत्पादन में महारथी: एल हांगथिन (58 वर्ष)
नगालैंड के एल हांगथिन ने गैर-देसी फलों की खेती में नई तकनीक से किसानों को सशक्त बनाया।
भजन से समाज सुधार: भैरू सिंह चौहान (63 वर्ष)
लोकगायक भैरू सिंह ने भजनों के माध्यम से नशामुक्ति, महिला शिक्षा और नैतिक मूल्यों के प्रचार में योगदान दिया।