Delhi Election: दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (आप) की करारी हार के बाद, पंजाब में सियासी हलचल तेज हो गई है। जबकि पंजाब में आप की सरकार है, दिल्ली की हार का यहां बड़ा असर पड़ने की संभावना जताई जा रही है। पार्टी के विधायकों के दलबदल की अटकलों के बीच, आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने पंजाब के पार्टी विधायकों और मंत्रियों को दिल्ली बुलाया है, और यह बैठक 11 फरवरी को होने वाली है।

दिल्ली की हार और पंजाब पर उसका प्रभाव

दिल्ली विधानसभा चुनाव में आप को केवल 22 सीटों पर जीत मिली, जिससे पार्टी सत्ता से बाहर हो गई, जबकि भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) ने 48 सीटों के साथ सत्ता में वापसी की। दिल्ली में यह हार पार्टी के लिए एक बड़ा झटका साबित हुई है, और अब आप नेतृत्व पंजाब में अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए सक्रिय हो गया है।  जानकारों का मानना है कि दिल्ली के नतीजों का पंजाब में भी असर पड़ सकता है, खासकर आप के विधायकों के दलबदल के संभावित खतरे को लेकर। इस बैठक का उद्देश्य पार्टी के विधायकों को एकजुट रखना और पंजाब में सरकार की स्थिरता सुनिश्चित करना है।

केजरीवाल की बैठक और विधायक संकट

आप के प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने पंजाब के सभी मंत्रियों और विधायकों को दिल्ली बुलाया है और कहा है कि वे 11 फरवरी को कपूरथला हाउस में होने वाली इस महत्वपूर्ण बैठक में अनिवार्य रूप से शामिल हों। हालांकि इस बैठक का एजेंडा क्या होगा, इस बारे में पार्टी नेताओं ने चुप्पी साध रखी है। इस बीच, पंजाब कैबिनेट की बैठक को दो बार टाल दिया गया है। पहले यह बैठक 6 फरवरी को होने वाली थी, फिर इसे 10 फरवरी के लिए और अब 13 फरवरी को स्थगित कर दिया गया है। इसका मतलब यह है कि पार्टी नेतृत्व पंजाब में व्याप्त असमंजस और राजनीतिक हलचल को लेकर गंभीर है।

कांग्रेस की मध्यावधि चुनाव की आशंका

कांग्रेस ने दावा किया है कि दिल्ली में हार के बाद पंजाब में आप विधायकों के टूटने की संभावना बढ़ सकती है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुखजिंदर सिंह रंधावा ने कहा कि अगर पंजाब में आप विधायकों का दलबदल हुआ, तो मध्यावधि चुनाव हो सकते हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि दिल्ली की हार के बाद पंजाब में भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ा खुलासा होने वाला है। रंधावा का यह बयान पंजाब में सियासी संकट को और बढ़ाता है, खासकर तब जब आप की साख पर सवाल उठने लगे हैं। कांग्रेस का आरोप है कि आप के विधायक पार्टी के भीतर असंतुष्ट हैं, और उनकी नज़र दूसरे दलों की ओर है।

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