लखनऊ। एडवांस लाइफ सपोर्ट एम्बुलेंस सर्विस मुहैया कराने संबंधी टेंडर प्रक्रिया में हस्तक्षेप से हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने इंकार कर दिया है। न्यायालय ने इस संबंध में दाखिल जनहित याचिका को इस आशंका के साथ खारिज कर दिया है कि हो सकता है कि याचिका टेंडर में असफल रहने वाली कम्पनियों के कहने पर दाखिल की गई हो।

ये आदेश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह की खंडपीठ ने अधिवक्ता गुरमेत सिंह सोनी की याचिका पर पारित किया। याची का कहना था कि कोविड-19 महामारी की वजह से हो रही मौतों को देखते हुए राज्य सरकार ने एडवांस लाइफ सपोर्ट एम्बुलेंस सर्विस मुहैया कराने के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू की। उक्त टेंडर प्रक्रिया के उपरांत जिस कम्पनी को ठेका दिया गया वो मध्य प्रदेश में ब्लैक लिस्टेड की जा चुकी है। याची का कहना था कि मध्य प्रदेश के नेशनल हेल्थ मिशन 22 दिसंबर 2020 को ठेका प्राप्त करने वाली कम्पनी का न सिर्फ ठोका समाप्त कर चुकी है, बल्कि ब्लैक लिस्टेड भी किया जा चुका है। याचिका का विरोध करते हुए राज्य सरकार के अधिवक्ता द्वारा दलील दी गई कि याचिका में नेशनल हेल्थ मिशन, मध्य प्रदेश द्वारा किये गए पत्राचार संबंधी दस्तावेज लगाए गए हैं। उनके बारे में याची ने खुलासा नहीं किया है कि उसे कैसे प्राप्त हुए, जबकि ये स्पष्ट है कि उक्त दस्तावेज उसने आरटीआई के जरिए नहीं प्राप्त किये हैं।

न्यायालय ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपने फैसले में कहा कि ये सही है कि दस्तावेजों को प्राप्त करने के स्त्रोत का याची ने खुलासा नहीं किया है और न ही याचिका दाखिल करने के सम्बंध में अपनी व्यक्तिगत प्रमाणिकता के बारे में कुछ कहा है। न्यायालय ने आशंका जताई है कि टेंडर में असफल रहने वाली कम्पनियों की ओर से वर्तमान याचिका दाखिल की गई लगती है।https://gknewslive.com

admin

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *