लखनऊ। मौसम का मिजाज बदल चुका है। बार‍िश का सिलसिला शुरू है। मानसून की पहली बारिश में ही लखनऊ शहर में जगह-जगह जलभराव हो गया है। ऐसे में संक्रामक रोज-मच्छरजनित बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। लिहाजा, स्वास्थ्य विभाग ने बीमारी के लिए घातक इलाकों की मैपिंग की। इसमें 160 मोहल्लों को चिह्नित किया। शहर में हर साल बारिश के मौसम के साथ डेंगू का प्रकोप छा जाता है। जून से मच्छर हमलावर हो जाते हैं। वहीं बारिश बढ़ते ही जुलाई से अक्टूबर तक मच्छर ज्यादा बढ़ जाते हैं। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग ने इस बार पहले से ही तैयारी शुरू कर दी है। डॉक्टरों ने पिछले वर्षों में फैले डेंगू का अध्ययन किया। खतरे वाले इलाकों की गूगल मैपिंग की। ऐसे में शहर के 110 वार्डों के 160 मोहल्ले हॉट स्पॉट के तौर पर चिह्नित किए गए। इनमें गोमतीनगर, हजरतगंज, अलीगंज, जानकीपुरम, माल एवेन्यू, इंदिरानगर जैसे पॉश इलाके भी हैं। वहीं खदरा, फैजुल्लागंज, डालीगंज जैसे इलाकों में संक्रामक रोग का खतरा मंडरा रहा है।

अस्पतालों में बन रहे डेंगू वार्ड
लखनऊ के ग्रामीण क्षेत्रों की 11 सीएचसी पर डेंगू के लिए बेड रिजर्व किए जा रहे हैं। वहीं लोहिया संस्थान में 20 बेड डेंगू मरीजों के लिए रिजर्व हैं। बलरामपुर अस्पताल में 30 बेड, सिविल अस्पताल में 30 बेड रिजर्व किए जा रहे हैं। ऐसे ही बीआरडी व आरएलबी में भी डेंगू मरीज के लिए 10-10 बेड व केजीएमयू में 30 बेड का डेंगू वार्ड बनाया जा रहा है। नगरीय मलेरि‍या अधि‍कारी डॉ. केपी त्रि‍पाठी के मुताबि‍क, शहर के 160 मोहल्ले हॉट स्पॉट के तौर पर चिन्हित किए गए। इनके लिए माइक्रोप्लानिंग बनाई जा रही है. एक जुलाई से संचारी रोग अभियान शुरू होगा।

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डेंगू के लक्षण
तेज बुखार, सिर, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, आंखों के पिछले हिस्से में दर्द कमजोरी लगना, भूख न लगना व मरीज का जी मिचलाना चेहरे, गर्दन, चेस्ट, पर लाल-गुलाबी रंग के रैशेज पड़ना है। वहीं डेंगू हेमरेजिक में नाक, मुंह, मसूड़े व मल मार्ग से खून आना है। साथ ही डेंगू शॉक सिंड्रोम में ब्लडप्रेश लो होना, बेहोशी होना शरीर में प्लेटलेट्स लगातार कम होने लगना है।

ऐसे करें डेंगू से बचाव
घर व आस-पास पानी को जमा न होने दें। कूलर, बाथरूम, किचन में जलभराव पर ध्यान दें। एकत्र पानी में मच्छर का लार्वा नष्ट करने का तेल स्प्रे करें। एसी की पानी टपकने वाली ट्रे को रोज साफ करें। घर में रखे गमले में पानी जमा न होने दें। छत पर टूटे-फूटे डिब्बे, टायर, बर्तन, बोतलें आदि न रखें। पक्षियों को दाना-पानी देने के बर्तन को रोज साफ करें। शरीर को पूरी तरह ढकने वाले कपड़े पहनें। बच्चों को फुल पेंट व पूरी बाजू की शर्ट पहनाएं। संभव हो तो मच्छरदानी लगाकर सोएं।https://gknewslive.com

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