लखनऊ। राजधानी लखनऊ में पार्षद लगातार नगर निगम से ऑडिट रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग कर रहे हैं। सदन अध्यक्ष की तरफ से उसके निर्देश भी दिए गए। लेकिन, आज तक ऑडिट रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई है. पार्षदों का आरोप है कि नगर निगम के लेखा जोखा में बड़े स्तर पर गड़बड़ियां की गई हैं। पार्षदों का कहना है कि अधिकारी इन गड़बड़ियों के उजागर होने से घबरा रहे हैं। इसलिए ऑडिट रिपोर्ट उपलब्ध कराने के लिए तैयार नहीं है।

प्रदेश की राजधानी लखनऊ के यदुनाथ सान्याल वार्ड की पार्षद सुनीता सिंघल लगातार नगर निगम से ऑडिट रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग कर रही है। उन्होंने बार-बार नगर निगम सदन की बैठक में इस ऑडिट रिपोर्ट को उपलब्ध कराने की मांग की। बावजूद इसके नगर निगम के अधिकारी यह लेखा-जोखा उपलब्ध कराने के लिए तैयार नहीं है। इसको लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। नगर निगम के लेखा-जोखा में बड़े स्तर पर गड़बड़ियों की आशंका भी जताई जा रही है। पार्षदों का कहना है कि अधिकारी इन गड़बड़ियों के उजागर होने से घबरा रहे हैं। इसलिए ऑडिट रिपोर्ट उपलब्ध कराने के लिए तैयार नहीं है।

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स्थानीय निकाय निदेशालय ने सभी नगर निकायों को शीघ्र ऑडिट रिपोर्ट निदेशालय को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। आदेश में कहा गया है कि ऑडिट का प्रमाण पत्र उपलब्ध न कराने वाले निकायों को वित्तीय आयोग से धन प्राप्त करने के लिए अपात्र मानते हुए डिफॉल्टर घोषित कर दिया जाएगा। साथ ही पूर्व में जारी बजट में से रोकी गई 5% राशि भी लेफ्ट हो जाएगी। विभाग के मुताबिक, वर्ष 2020-21 के लिए चतुर्थ राज्य वित्त आयोग की संस्तुति के हिसाब से सभी नगर निकायों को पांच फीसद राशि रोककर विकास के लिए शेष राशि जारी की गई थी, लेकिन अब तक 450 से अधिक नगर निकायों ने वित्तीय वर्ष 2020-21 के लेखा-जोखा की ऑडिट रिपोर्ट शासन को उपलब्ध नहीं कराई है।https://gknewslive.com

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