लखनऊ: पंचायतीराज विभाग में 16.67 करोड़ का घोटाला सामने आया है। प्रथम द्रष्टया वित्तीय अनियमितता की पुष्टि होने पर जिलाधिकारी ने पूर्व डीपीआरओ को दोषी मानते हुए निलंबन की संस्तुति कर अपर मुख्य सचिव पंचायतीराज को पत्र लिखा है। मामले की विस्तृत जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति बनाई गई है। प्रदेश सरकार पंचायतीराज विभाग को स्वच्छता के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए सूचना शिक्षा संचार मद से धनराशि देती है।

इसके जरिए दीवार पेंटिंग, बैनर, पोस्टर से स्वच्छता को लेकर प्रचार-प्रसार किया जाता है। पूर्व डीपीआरओ राजेंद्र प्रसाद यादव ने स्वच्छ भारत मिशन के तहत वर्ष 2019-20 की सीए द्वारा तैयार की आडिट रिपोर्ट व उपयोगिता प्रमाणपत्र डीएम के सामने प्रस्तुत किया था। डीएम ने इस पर सूचना शिक्षा संचार मद में किस कार्य पर कब और कितना खर्च हुआ का विवरण मांगा था। प्रशासनिक (संविदा कार्मिकों का मानदेय, वाहन में ईंधन) व शौचालय व्यय में मदवार खर्च और उपयोगिता प्रमाणपत्र एडीओ पंचायत व बीडीओ के माध्यम से प्राप्त कर प्रस्तुत करने के लिए कहा था। आरोप है कि डीपीआरओ ने इस सबंध में कोई विवरण प्रस्तुत नहीं किया। मात्र पंचायत सचिव के हस्ताक्षर वाले उपभोग प्रमाणपत्र तैयार कराए। डीपीआरओ ने प्रधान तक के हस्ताक्षर नहीं कराए। डीएम ने इसे वित्तीय अनियमितता माना। अपर मुख्य सचिव को भेजे पत्र में डीएम ने बताया कि वित्तीय स्वीकृतियां जिलाधिकारी द्वारा दी जाती हैं।

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