लखनऊ: चरणजीत चन्नी पंजाब के इतिहास में पहले दलित मुख्यमंत्री बन गए हैं। कांग्रेस ने जाट सिख समुदाय से सुखजिंदर सिंह रंधावा और हिंदू नेता ओपी सोनी को डिप्टी सीएम बनाया है। यह कुर्सी कैप्टन अमरिंदर सिंह के इस्तीफे के बाद खाली हुई थी।

जुलाई में भाजपा ने 2022 के चुनावों में दलित मुख्यमंत्री बनाने का वादा किया था। कांग्रेस ने उससे यह मुद्दा छीनते हुए राज्य को पहला दलित मुख्यमंत्री दे दिया है। यह समझा जाता है कि सिख धर्म वर्ण व्यवस्था को फॉलो नहीं करता। इसके बाद भी पंजाब में सिख दलितों की संख्या कम नहीं है। ऐसे में सवाल उठता है कि दलित सिख है कौन? इनके मुद्दे क्या हैं? इनके नाम पर राजनीति क्यों हो रही है?

इसके लिए आपको सिख धर्म को समझना होगा। सिख गुरुओं ने कभी भी अपने समुदाय को जातियों में नहीं बांटा। उनकी संगत और लंगर में भी कभी भी इनमें अंतर नहीं किया गया। सिख गुरु गुरुनानक थे तो जट्ट, पर खुद को सबसे निचले स्तर का बताते थे। इतना ही नहीं, बाद के गुरुओं ने भी जातियों या जात-बिरादरी में धर्म को नहीं बांटा।

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