लखनऊ: लगभग दो साल पहले दुष्कर्म की कोशिश में नाकाम रहने पर किशोरी को जिंदा जलाने वाले युवक को गुरुवार को अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश पोक्सो अधिनियम प्रथम ने फांसी की सजा सुनाई है। पचास हजार रुपये का अर्थदण्ड भी लगाया है। एडीजीसी राजपाल सिंह दिसवार के मुताबिक मामला सिकंदराराऊ क्षेत्र एक गांव का है। 15 अप्रैल 2019 को 14 वर्ष की किशोरी अपनी नानी के पास घर पर थी। माता-पिता किसी रिश्तेदारी में गए थे। रात के करीब दस बजे मोनू ठाकुर पुत्र अनिल निवासी रमिया नगला सिकंदराराऊ आ गया।
किशोरी छत पर खाना बना रही थी। तभी मोनू ने उसके साथ छेड़छाड़ शुरू कर दी। किशोरी ने विरोध किया तो मोनू ठाकुर ने केरोसिन डालकर किशोरी को जिंदा जला दिया। तभी पीड़िता की नानी आ गई और उसने मोनू को पहचान लिया। मोनू धमकी देकर वहां से भाग निकला। परिवार के लोग घायल किशोरी को अलीगढ़ मेडिकल कॉलेज लेकर पहुंचे। इलाज के 17 दिन बाद किशोरी की मौत हो गई। मौत से पहले अलीगढ़ के मजिस्ट्रेट ने उसका बयान दर्ज किया तो पीड़िता ने बताया कि मोनू ठाकुर के साथ दो अन्य लोग भी मौजूद थे। जिन्हें वह जानती पहचानती नहीं है।
किशोरी की मृत्यु के उपरांत इस मामले में धारा 354, 354 क, 326 ए, 452, 302,376 व पोक्सो अधिनियम में आरोप पत्र दाखिल कर दिया। तभी से मामले की सुनवाई विशेष न्यायाधीश पोक्सो अधिनियम कोर्ट में चल रही थी। गुरुवार को एडीजे प्रतिभा सक्सेना ने धारा 302 में मृत्युदण्ड व पचास हजार रुपये का अर्थदण्ड लगाया है। अर्थदण्ड अदा न करने पर उसे छह माह का साधारण कारावास भोगना होगा। धारा 326ए में सश्रम आजीवन कारावास और पचास हजार रुपये का जुर्माना लगाया है।