लखनऊ। लखनऊ विश्वविद्यालय पीजी व यूजी प्रोग्राम में नेशनल एजुकेशन पॉलिस लागू करने के बाद शुरू करने जा रहा एक वर्षीय पीजी प्रोग्राम।इसके लिए नियम-कानून व योग्यता आदि का निर्धारण करने को विवि प्रशासन ने छह सदस्यीय कमेटी गठित की है, जो इसके लिए प्रारूप व सिलेबस आदि का निर्धारण करेगी। इसके बाद इसे विवि की सभी कमेटियों से पास करके लागू किया जाएगा।विवि प्रशासन ने पिछले साल परास्नातक में व इस सत्र 2021-22 से स्नातक में एनईपी को प्रभावी बनाया है। इसके अनुसार अब स्नातक कोर्स चार साल का हो गया है।
जिसमें मल्टीपल एग्जिट की भी सुविधा दी गई है। अब जो विद्यार्थी चार साल का स्नातक कोर्स कर लेगा उसे यूजी विथ रिसर्च की डिग्री मिलेगी। वहीं उसके लिए पीजी एक साल का होगा। इसका सिलेबस आदि नियम बनाने की कवायद शुरू की गई है। बता दें कि लविवि एनईपी लागू करने वाला पहला विश्वविद्यालय रहा है। इतना ही इसके लिए प्रदेश सरकार द्वारा कॉमन मिनिमम सिलेबस तैयार किया गया। हालांकि, लविवि ने अपने यहां की विशिष्टता को ध्यान में रखकर खुद इसका सिलेबस तैयार किया और चार साल का यूजी कोर्स शुरू किया है।
इतना ही नहीं फ्लेक्सिबल एंट्री व एग्जिट के क्रम में पिछले दीक्षांत समारोह में पीजी पाठ्यक्रम में एक साल बाद एक्जिट करने वाले दो छात्रों को पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा भी दिया गया। पाठ्यक्रम में इंटर्नशिप व मास्टर थीसिस भी कराई जा रही है। इलेक्टिव पेपर पढ़ने का भी अवसर दिया जा रहा है।डीएसडब्ल्यू प्रो. पूनम टंडन ने बताया कि चार साल का यूजी करने वाले विद्यार्थी चाहेंगे तो सीधे पीएचडी में भी प्रवेश ले सकेंगे। वहीं तीन साल में स्नातक से एग्जिट करने वाले विद्यार्थी को दो साल का ही पीजी करना होगा। इसके बाद वह रिसर्च के लिए अर्ह होंगे। चार वर्षीय स्नातक में कौशल विकास पर जोर दिया गया है।
जिसके तहत विद्यार्थी को-कॅरिकुलर कोर्स व वोकेशनल कोर्स पहले साल से ही पढ़ रहे हैं।कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय ने नई शिक्षा नीति के अनुरूप एक वर्षीय परास्नातक कोर्स का पाठ्यक्रम, प्रारूप तैयार करने के लिए छह सदस्यीय कमेटी गठित की है। इसमें अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो. पूनम टंडन, डीन कला संकाय प्रो. प्रेम लता सुमन, डीन एकेडमिक प्रो. राकेश चंद्रा, डीन रिसर्च प्रो. राजीव पांडेय, प्रो. पियूष भार्गव तथा प्रो. रचना मज्जू शामिल हैं।