लखनऊ: इस दुनिया जीविका घर कुल कुटुम्ब रिश्तेदार को ही सब कुछ मानकर इसी में अपना सारा जीवन लगा देने और मृत्यु के पहले अपने आत्मा का उद्धार, मुक्ति मोक्ष की प्राप्ति, जीते जी ऊपरी लोकों में जाने से चूक कर अंततोगत्वा नरक और चौरासी में फंसने के लिए विवश होने वाले मनुष्य को बड़े प्रेम से तरह-तरह से चेताने जगाने समझाने वाले, हर तरह की समस्या चाहे भौतिक हो या आध्यात्मिक, उसका स्थाई समाधान बता कर बिना भेदभाव के सब को अपना मानते हुए हर तरह से मदद करने वाले, जिनके माध्यम से सब जीवों का पिता वो सर्वशक्तिमान प्रभु अपनी दया चौबीसों घंटे लुटा रहा है, ऐसे मौजूदा पूरे समरथ सन्त सतगुरु त्रिकालदर्शी उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 26 अगस्त 2022 को प्रातः कालीन बेला में रायगढ़ (छत्तीसगढ़) में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि गफलत में अपना जीवन व्यर्थ गवां देने वाले बाद में पछताते हैं।
दुनियादारी में ही सारा समय व्यर्थ किया तो अंत समय यमदूत जबरदस्त मार लगते हैं
जो अपने शरीर के लिए ही सब कुछ करते रहते हैं, मनुष्य शरीर पाने का मतलब नहीं समझते हैं, पशु-पक्षियों की तरह से खाए पिए और बच्चा पैदा करके जीवन को खत्म कर लेते हैं उनके ऊपर तो मार पड़ती ही पड़ती हैं। किसकी? वो जो सूक्ष्म शरीर में यमराज के दूत आते हैं, मार-मार कर के जीवात्मा को, शरीर को खाली कराते हैं। उनको जब कोई देख पायेगा तब तो मदद करेगा, उनसे छुड़वाएगा। उनको लिंग शरीर वालों को कोई बाहरी आंखों से देख नहीं पाता है तो ऐसे मनुष्य रोते तड़पते चिल्लाते प्राण त्याग देते हैं।
सतपुरुष ही है सबके सिरजनहार, सभी जीवों के पिता
जो सबका सिरजनहार वही सतपुरुष, जिसकी बात, कीर्ति, महिमा आज आपको बताई जा रही है। कहा गया है-
सकल जीव मम उपजाया।
सब पर मोर बराबर दाया।।
सब पर बराबर दया करता है। आप देख तो नहीं पाते हो। दया न होती तो आप यहां सतसंग में आते ही नहीं। कोई न कोई माध्यम दया का वह बना देता है, अच्छी बातों को लोग सुनने के लिए पहुंच जाते हैं, पकड़ कर जीवन में घटा लेते है, करने लगते हैं तो लोगों को लाभ फायदा मिलने लग जाता है।
नरकों मे जीवों के रोने तड़पने की आवाज सुनी तो बचाने ख़ुद सतपुरुष, सन्त रुप में धरती पर आये
सतपुरुष ने जब आवाज़ सुनी कि मेरे ही बच्चे रो रहे, तड़प रहे, तकलीफ में हैं तब कहा घबराओ नहीं मैं भेजता हूं। सन्तों को भेजा। अवतारिक शक्तियां ऋषि मुनि योगी योगेश्वर सन्त सब अलग-अलग होते हैं। सन्तों का दर्जा सबसे ऊंचा हुआ करता है। जब सन्त आने लगे तो काल ने कहा प्रभु सन्त को आप भेज रहे हो लेकिन सन्त चमत्कार दिखा कर जिससे लोग उनके पीछे लग जाये, ऐसे अपने साथ किसी भी जीव को ले नहीं जाएंगे।
आजकल लोग करतब दुआ भभूत ताबीज देकर थोड़े समय के लिए भूत हटा देते लेकिन बाद में फिर चढ़ बैठता है
जैसे आजकल करतब दिखाते हैं, दुआ भभूत ताबीज आदि बना देते हैं। भूत लगा हुआ है। थोड़े समय के लिए वो भूत हट जाता है बाद में फिर चढ़ बैठता है। उस समय तो विश्वास हो जाता है, जो कुछ मांगता है वो, जो जेब में रहता है वह दे देता है। आपकी तकलीफ जाती नहीं क्योंकि उनको भूतों को निजात (उद्धार) दिलाने का तरीका तो मालूम नहीं होता। इसलिए जीवन रहते-रहते ऐसे पूरे समर्थ सन्त सतगुरु की खोज करो जो न केवल यहां की दुःख तकलीफों में स्थाई आराम दिला दे साथ ही आत्मा की तकलीफ भी दूर कर दे।