Lucknow : इंस्टिट्यूट पब्लिक डे सोंडेज डी’ओपिनियन सेक्टोर (IPSOS) ने अपने एक सर्वे में बेहद ही चौकाने वाला खुलासा किया है। IPSOS के इस सर्वे में शहरी भारतीयों को बेरोजारी, भ्रष्टाचार, महंगाई और मुद्रास्फीति की चिंता सता रही है। अक्तूबर में किए गए IPSOS के सर्वे ‘What Worries the World’ की रिपोर्ट में कहा गया है की, दस में से दो शहरी भारतीय मुद्रास्फीति के बारे में चिंतित हैं। मुद्रास्फीति के बारे में चिंतित 29 बाजारों में भारत सबसे निचले पायदान पर है।

IPSOS के सर्वेक्षण से पता चलता है कि शहरी भारतीय बेरोजगारी (39%), वित्तीय और राजनीतिक भ्रष्टाचार (27%), अपराध और हिंसा (25%), गरीबी और सामाजिक असमानता (22%) के बारे में सबसे अधिक चिंतित हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनियाभर में मुद्रास्फीति नागरिकों के बीच चिंता का प्रमुख कारण बनी हुई है और इसमें पिछले महीने दो प्रतिशत की वृद्धि भी हुई है। इसके अलावा वैश्विक स्तर पर नागरिक गरीबी, सामाजिक असमानता, बेरोजगारी, हिंसक अपराधों और वित्तीय व राजनीतिक भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों को लेकर ज्यादा चिंता में है .

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सर्वेक्षण के निष्कर्षों पर इप्सोस (IPSOS) के सीईओ अमित अदारकर ने कहा, कोरोना महामारी के साथ ही वैश्विक मंदी का प्रभाव भारत जैसे बाजारों में महसूस किया जा रहा है। यह नौकरियों को प्रभावित कर रहा है, जिससे भ्रष्टाचार, अपराध और सामाजिक असमानता में वृद्धि हो रही है। हलाकि, भारत ने इंडोनेशिया को दूसरे सबसे सकारात्मक बाजार के रूप में पीछे छोड़ दिया है, अधिकांश शहरी भारतीयों का मानना ​​है कि भारत सही रास्ते पर है।

 

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