लखनऊ। उत्तराखंड में आई आपदा से काशी के संतों में आक्रोश जताया है। संत इस तरह की आपदा को कहीं न कहीं सरकार की नाकामी अभी बता रहे हैं। अखिल भारतीय संत समिति ने मृतकों की आत्मा की शांति के लिए भगवान से प्रार्थना की, वहीं महामंत्री स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती ने इसपर आक्रोश भी जताया। स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती ने कहा कि सन् 2000 में प्रो. टी शिवाजी राव की रिपोर्ट जो जोशी कमिटी में समिट है। उन्होंने कहा कि ‘टिहरी इज अ टाइम बम’ उत्तराखंड के ऊपर जितने भी बांध बने, चाहे वह बद्रीनाथ केदारनाथ की घाटी हो या गंगोत्री यमुनोत्री की घाटी हो। इन सभी बांधों के विरुद्ध गंगा महासभा ने लंबा संघर्ष किया और बार-बार सरकारों को चेताया।

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उन्होंने कहा कि राज्य में किसी भी दल की सरकार रही हो उन्हें बांधों से मिलने वाले कमीशन की चिंता थी। बांधों के विस्फोट से, ग्लेशियर्स के टूटने से कई बार आपदा आई है। चाहे वह 2013 की त्रासदी हो अथवा 2021 त्रासदी हो। लेकिन मरने वाले लोग तो उत्तराखंड के ही हैं, हम तो सिर्फ शोक व्यक्त कर सकते हैं।
स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती ने कहा कि वह भारत सरकार से और उत्तराखंड की सरकार से पुनः अपील करते हैं कि सरकार एक बार सारे बांधों का रिव्यू करें।अब टिहरी बांध ने अपना समय पूरा कर लिया है, अगर टिहरी टूटा तो हमें भुगतने के लिए तैयार रहना होगा।http://gknews.live

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