लखनऊ: निजधामवासी बाबा जयगुरुदेव जी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, इस समय के युगपुरुष, पूरे समरथ सतगुरु, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज नेसायं दुजोद आश्रम, सीकर (राजस्थान) में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि देवियों को कर्म कम लगता है क्योंकि घर में रहती है और मेहनत सेवा करती है। सेवा इनको बचपन से ही सिखाया जाता है। इसीलिए मैं भी कहता हूं कि छोटी-छोटी बच्चियों से ही बच्चियों तुम लोग सेवा का काम लेना शुरू कर दो। बर्तन धोना, रोटी बनाना, इसके साथ फिर पढ़ाना। केवल पढ़ाई में ही अगर लगाए रहोगे तो यह उसको सीख नहीं पाएगी, सेवाभाव नहीं होगा। आजकल देखो लड़ाई-झगड़ा भी ज्यादातर ऐसे ही घरों में होता है जहां शिक्षित ज्यादा पढ़ी-लिखी लड़कियां आ जाती है, घर का काम कुछ नहीं करती है, सास को ही करना पड़ता है। बस मनमुटाव हो जाता है। सेवा जो करता है उसका दिल दिमाग बुद्धि सही रहती है, कर्म ज्यादा नहीं आते हैं। और जो सेवा ज्यादा लेते हैं, करवाते हैं, उन पर सेवा करने वाले के कर्म आ जाते हैं। इसलिए दिल दिमाग से, शरीर से करो, कैसे भी करो, कुछ न कुछ सेवा करते रहो जिससे कर्म न आवे।

पहले पढ़ाई फिर कमाई उसके बाद सगाई

महाराज ने प्रातः उज्जैन आश्रम में होली कार्यक्रम में बताया कि बच्चे-बच्चियां जब बड़े हो जाएं, पढ़-लिख लें, कमाने लायक हो जाए तो उनका शादी ब्याह कर दो। जब तक कमाए न तब तक शादी मत करना। नहीं तो शादी के दूसरे दिन से ही खर्चा चालू हो जाता है और आमदनी नहीं होती है तब कुछ-कुछ झगड़ा होता है। इसीलिए पहले पढ़ाई फिर कमाई उसके बाद सगाई। यह ध्यान रखना बच्चों, जब तक पढ़ोगे नहीं, अच्छा नंबर नहीं लाओगे, नौकरी काम नहीं मिलेगा तो शादी नहीं होगी। इसीलिए मेहनत करो गृहस्थी को चलाने के लिए, गृहस्थ आश्रम का पालन करने के लिए। जो गृहस्थ आश्रम, गृहस्थ धर्म का पालन करता है वह सब काम कर सकता है इसीलिए इस चीज का ध्यान रखना है। शादी ब्याह समय से देख कर कर दो, देर मत करो, कुछ भी कमाने लगे तब। यह मत सोचो कि हमारा लड़का आईएएस पीसीएस कलेक्टर कमिश्नर ऊँचे ओहदे पर चला जाएगा। एक-दो बार (परीक्षा में) बैठा दो, नहीं होता तो छोटी नौकरी करवा दो। नौकरी कमाई भी करता रहेगा, बैठता रहेगा। जब उसमें आ जाएगा तब अच्छी नौकरी कर लेगा। बच्चों! खाली मत बैठो। कुछ न कुछ करो। एक-दो बार में बड़े कंम्पटीशन में नहीं आते, छोटे कंपटीशन/नौकरी/परीक्षा में बैठते नहीं है, खाली बैठ जाते हैं लड़के। केवल बड़े की इच्छा बनाए रखते हैं बाकी सब भूल जाता है, पढ़ाई खत्म हो जाती है, निराश हो जाते हैं। जो दफ्तर में बाबू बनने (लायक) को होते हैं, वह भी नहीं बन पाते। कुछ भी काम मिल जाए, कर लो। शादी ब्याह अपने मेल से करो। जहां देखो कि हमारी लड़की सेट हो जाएगी, उसके यहां करो। लड़के को देख लो कि हमारी लड़की को यह रख पाएगा, गुजर बसर हो जाएगा या नहीं हो पाएगा। अपनी गृहस्थी के अनुभव के आधार पर देख लो। बहू को जो लाओ तो देखो हमारे यहां सेट हो जाएगी, हमारा लड़का इसको रख लेगा, कमा कर खिला लेगा, संतुष्ट कर लेगा नहीं कर लेगा, तब उससे शादी आप लोग कर लो। मना नहीं करता हूं। नाम रखने का, मुंडन करने का काम तो जब मैं मिल जाऊंगा तब भी हो जाएगा लेकिन शादी-ब्याह जो जरूरी काम लड़के-लड़कियों का समय से कर दो नहीं तो यह अपनी मर्जी से खोजने लग जाएंगे। समय की भूख, इच्छा होती है, उसको नहीं मार पाएंगे। जब बच्चे अपने हिसाब से शादी कर लेंगे तो कोई जरूरी नहीं कि गृहस्थ आश्रम में निभ जाये। फिर तो अक्सर देखा गया कि अपने मन से करने वाले बच्चे-बच्चियों का रिश्ता निभता नहीं है। दो महीना भी नहीं बीतता कि कहीं लड़ाई-झगड़ा गुस्सा कहीं तलाक दहेज़ के मुकदमे चालू हो जाते हैं, घरभर को जेल की हवा खानी पड़ती है तो ऐसा काम नहीं करना है।

ठगों से होशियार रहना

ठग तो आ जाएंगे। कहेंगे एजेंसी दिला देंगे, पार्टनर बना लो, चार गुना करा देंगे, जमीन-मकान खरीद लो, यह सामान रख लो इसका कीमत अभी बहुत बढ़ेगा आदि। तो वह लगे हुए हैं। बगैर मेहनत का पैसा आता है, थोड़ा दिमाग लगाते हैं, पैसा आने लगता है। देना तो कुछ है ही नहीं, मांगने का तरीका प्रभावी रहता है। आप परिस्थिति को देखकर के, सतसंगी है, गुलाबी कपड़े पहनता है, अच्छी बात करता है, सेवा भी दौड़ करके कर लेता है, सेवा भी दे देता है, प्रभावित कर लेते हैं कि आप दयाल हो कर दे देते हो फिर वापस नहीं आता है। इसलिए इस चीज का ध्यान रखना, लालच में मत पड़ना। सबके बहकावे में मत आना। आप काम को सीख करके अपने हिसाब से बुद्धि से करो। वही काम करो जिसको कर सकते हो तब उसमें कामयाब हो जाओगे। ज्यादा ऊंची उड़ान भरोगे, नहीं कर सकने वाला करोगे तो फिर फेल हो जाओगे। दूसरे के बल पर, दूसरे के हिसाब से आप कोई भी बिजनेस व्यापार करोगे तो हमेशा झुके रहोगे, आप की अक्ल नहीं लगेगी, अक्ल उसकी लग जाएगी, वह आपका घाटा करा देगा। इसीलिए इस चीज का प्रेमियों ध्यान रखो।

शराबी जुआरी के यहां लक्ष्मी रुकती नहीं है

महाराज जी ने 12 अगस्त 2021 सायं उज्जैन आश्रम में बताया कि लक्ष्मी का सिद्धांत है कि वो ऐसी जगह पर रूकती है जहां से उनको अच्छे काम में लगाया जाता है। और अगर खराब काम में लगा दिया तो चली जाती हैं। देखो जुआरी जुआ खेलता है, लक्ष्मी को दांव पर लगा देता है, सब हार करके चला आता है। लक्ष्मी, शराबी जुआरी के यहां नहीं रुकती है। अच्छे काम में जब लक्ष्मी को लगाते हैं तो लक्ष्मी रुक जाती है। सम्मान देते हैं, कुर्सी पर बैठते हैं तो कितने खुश हो जाते हैं। कुर्सी से उतर गये तो कितना दुख होता है, रोते हैं। कहा है लाभ और मान क्यों चाहे, पड़ेगा फिर तुझे देना न तो लाभ की खुशी होनी चाहिए और न लाभ से हटने का गम होना चाहिए। समभाव जिसमें रहता है- जो समझे प्रभुता परछाई, प्रभुता पाई काही मद नाही। गोस्वामी जी ने कहा।

यात्रा के लिए रात 12 से 2 के बीच का समय अच्छा नहीं होता है

महाराज जी ने प्रातः पेंड्री आश्रम, दुर्ग (छत्तीसगढ़ )में बताया कि देखो समय (उम्र) नहीं पूरा होता है लेकिन एक्सीडेंट दुर्घटनाएं हो जाती है। लोग ध्यान नहीं देते हैं। गाड़ी घोड़ा चलाते समय बताया जाता है कि रात को 11 बजे कहीं पर भी रुक जाओ फिर दो-तीन बजे के बाद चलो। 12 से 2 के बीच का समय अच्छा नहीं होता है। लोग नहीं मानते हैं। कोई यह चाहता है कि दुर्घटना हो जाए? लेकिन दुर्घटना हो जाती है। हाथ-पैर कट गया, खून ज्यादा निकल गया तो (शरीर का) सिस्टम बिगड़ जाता है क्योंकि जितने खून की जरूरत जिन अंगों को पड़ती है वह नहीं मिल पाता है तो भी प्राण जल्दी निकल जाते हैं, फट से निकल जाते हैं। कहीं गिरा और कोई नस इस तरह की रुक गई कि रक्त का संचार बंद हो गया तो समझो आदमी बचता नहीं है। इसलिए ध्यान दो।

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