लखनऊ: निगोहा कस्बे में दैनिक यात्रियों के लिए परिवहन निगम की न तो बसे है न ही बस अड्डा यहाँ के यात्रियों को बस डग्गामार वाहनों में मजबूरन सफर तय करना पड़ रहा है। निगोहा कस्बे में यू तो कहने को सांकेतिक प्राथनीय बस अड्डा चिन्हित है यहाँ हमेशा से यात्रियों को रायबरेली व लखनऊ की ओर से गुजरने वाली बसों को रुकने के लिए हाथ देना पड़ता है। फिर भी बसे आज भी चालक व परिचालकों की मंशा पर ही रुकती है। निगोहा कस्बे में प्रतिदिन हजारो की संख्या में यात्री परिवहन निगम की बसों से सफर करते है । लेकिन आजादी के 72 वर्ष बीत जाने के बाद भी परिवहन निगम के उच्चधिकारी कस्बे में बसों के ठहराव की व्यवस्था करने में नाकाम रहे । जबकि यात्रियों ने अनेको बार शासन व परिवहन निगम प्रशासन से लिखित शिकायत दर्ज कराई।लेकिन अधिकारियों ने कोई ठोस कदम नही उठाया निगम प्रशासन कुछ समय के लिए चिन्हित बस अड्डे पर एक कर्मचारी की नियुक्ति कर देता है जहां कुछ दिनों के बाद कर्मचारी के हटते ही चालको व परिचालकों की मनमानी फिर से शुरू हो जाती है।
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जबकि निगोहा कस्बे में सुबह 8 से 11 बजे तक व शाम 4 बजे से लेकर देर रात तक बसे नही रुकती है।जबकि निगोहा कस्बे से रायबरेली प्रतापगढ़ प्रयागराज फतेहपुर चारबाग आलमबाग व लखनऊ डिपो की दर्जनों बसों का प्रतिदिन आनाजाना है । कईं बैंको व पोस्ट आफिस एवं कालेजो के कर्मचारियों का कहना है कि निगोहा क्षेत्र में नियुक्ति के बाद सबसे बड़ी समस्या परिवहन की है ।यहाँ आफिस बन्द करने के बाद घर वापसी के लिए बस के चक्कर में घण्टो बैग टांग कर खड़ा रहना पड़ता है।इसके अलावा रायबरेली उन्नाव जनपद की सीमा होने के नाते यहाँ से प्रत्येक दिन सैकड़ो की संख्या में कर्मचारी व्यापारी व अन्य लोगों का लखनऊ व रायबरेली आदि जगहों पर प्रतिदिन आनाजाना लगा रहता हैं।
सबसे ज्यादा पीड़ा स्कूली छात्र छात्राओं को
छात्र छात्राओं ने बताया समय से बस न मिलने के चलते वापस घर जाना पड़ रहा है। कईं यात्रियों ने बताया कि लॉक डाउन के बाद लखनऊ रायबरेली के मध्य ट्रेनों का संचालन बन्द होने से यात्रियों की भीड़ सुबह से ही सड़क खड़ी हो जाती है।वही वही बसों के चालक अपनी मनमानी करने से बाज नहीं आ रहे हैं जबकि चालक व परिचालक चाहे तो थोड़ी थोड़ी सवारियों को उठाले तो भी राहत मिलेगी ।
यहाँ का तो बस अड्डा निजी पार्किंग का अड्डा
मोहनलालगंज कस्बे में तहसील के सामने करोङो की लागत से बना बस अड्डा केवल निजी वाहनों की पार्किंग बनकर रह गया है।यहां पर तो बकायदा कर्मचारी भी तैनात है उसके बावजूद बसे बस अड्डे के भीतर नही जाती है।किसी को उतारना होता है तो चालक बाहर ही रोककर चले जाते है।