धर्म कर्म : निजधामवासी बाबा जयगुरुदेव जी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, चाहे कड़वा बोलना पड़े लेकिन सदैव हित की बात कहने वाले, पूरे समरथ सन्त सतगुरु उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने बाबा जयगुरुदेव जी के मासिक भंडारे के शुभ अवसर पर उज्जैन आश्रम में दिए संदेश में बताया कि कलयुग में पूर्व की चीजें लुप्त होती दिखाई पड़ रही हैं। अब लोगों में न आत्मबल है, न आत्म शक्ति है, न तत्वदर्शी हैं न आत्मदर्शी हैं न ब्रह्म्दर्शी हैं न ब्रह्म को और न ही देवी-देवताओं को देख सकते हैं, न शस्त्रों की और न ही अन्य विद्याओं की जानकारी लोगों को हो पा रही है। शरीर भी कमजोर हो गया।

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मन को बुरी आदतों और गंदे विचार भावनाओं से हटाओ:-

उस एक को साधने से सब काम बन जाए। जो आपको पांच नाम का महामंत्र मिल गया है उसे बताये गए तरीके से सुमिरन ध्यान भजन करने से, अपना ध्यान इधर से हट कर ऊपर से आती आसमानी आवाज को पकड़ने से, इसी से आपका काम बनेगा। थोड़ा शरीर को, मन को साधने की जरूरत है। मन शरीर के साथ ही लगा हुआ है। आपको नामदान मिला, आपको अपने शरीर को साधने की जरूरत है। शरीर जब सधने लगेगा, खान-पान जब सही रहेगा, विचार भावना आपकी सही रहेगी, जब आप गंदे भोजन, गंदे लोगों के साथ से अलग रहोगे, जब आप गंदी चीजों बातों को इन बाहरी आंखों से नहीं देखोगे सुनोगे तब उसका असर मन के ऊपर नहीं पड़ेगा, मन उधर नहीं जाएगा। नहीं तो मन जब उधर चला जाता है तो इन्हीं शरीर के इंद्रियों से कर्मों को इकट्ठा करा लेता है, शरीर को गंदा, खोखला करवा देता है। जब मन उधर नहीं जाएगा, जब स्वतंत्र फ्री रहेगा, आपके पास रहेगा, भागेगा नहीं, शरीर को आप रोक के रखोगे, इंद्रियों से मन कुछ करा नहीं पाएगा, मन को जब रस नहीं मिलेगा, तब मन इधर के बजाय उधर की तरफ लगने लगेगा। दुनिया और जड़ शरीर को छोड़ा, चेतन शरीर में ऊपर गये तब देखा, बड़े-बड़े ब्रह्मांड, कोटिंन चतुरानन्द गौरीश: करोड़ों गौरी को, शिव को शंकर को देखा क्योंकि उसमें सब एक जैसे ही दिखाई पड़ते हैं, उधर (उपरी लोकों) की तरफ जाने लग जाओगे तो जो आपका लक्ष्य उद्देश्य है, वह पूरा हो जाएगा। जो आपको पांच नाम का महामंत्र मिल गया, तो बताये गए तरीके से इन्हीं के सुमिरन ध्यान भजन करने से, अपना ध्यान इधर से हटा कर ऊपर से आती आसमानी आवाज को पकड़ने से, इसी से आपका काम बनेगा।

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