लखनऊ: गरीबी क्या न कराए साहब, “गरीबी और मजबूरी में तो साहब आंसू भी साथ छोड़ देते हैं।” कुछ ऐसा ही दर्द उस महिला की आंखों में दिखा जो अपने घायल पति को रिक्शा ट्राली पर लेकर अस्पताल पहुंची। लेकिन उसे क्या पता था की रिक्शा ट्राली के पहियों की धीमी रफ्तार के साथ-साथ उसके पति की सांसें भी धीमी पड़ती जा रही है। और हुआ भी कुछ ऐसा कि जब वह अपने चोटिल पति को लेकर अस्पताल पहुंची तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
घायल पति को अस्पताल तक पहुंचाने के लिए महिला ने एंबुलेंस के लिए लाख जतन किए लेकिन जब एंबुलेंस न मिली तो उसने अपने पति की जान बचाने के लिए रिक्शा ट्राली का सहारा लिया। अस्पताल पहुंचते-पहुंचते उसके पति ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया। सोचिए जब कोई अपना नजरों के सामने तड़प रहा हो और हम कुछ ना कर सकते हो तो ऐसी बेबसी में आखिर क्या गुजरती होगी।