धर्म-कर्म : देवताओं को खुश करने का तरीका बताने वाले, लोगों के बद से बदतर होते कर्मों की वजह से कुदरत की बढ़ती नाराजगी और फिर मिलने वाली कड़ी सजा से समय रहते सबको आगाह करने वाले, उससे बचने का सरलतम उपाय भी बताने वाले, इस समय के युगपुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, लोकतंत्र सेनानी, उज्जैन वाले बाबा उमाकांत जी ने बताया सबको कर्मों के अनुसार सजा मिलती है। इसीलिए मनुष्य शरीर को पाक साफ रखो, अंडा मांस मछली शराब आदि इसमें डाल कर इसे गंदा मत करो।

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इसलिए आजकल होने वाले इतने पूजा-पाठ इबादत के बावजूद जल पृथ्वी अग्नि वायु आकाश देवता खुश नहीं हो रहे और नाराज होकर सजा देने के लिए तैयार हो रहे हैं। सजा दो तरीके की होती है। हल्की-फुल्की चेतावनी के लिए और कड़ी सजा। तो सबको सजग रहने की जरुरत है। महाराज जी ने कहा की, अभी समय है, मांस-मदिरा का त्याग करदो और प्रभू की भक्ति में लग जाओ। जयगुरुदेव नाम का ध्यान,भजन और सुमिरन करो। तभी तुम्हारा और इस मानव समाज का कल्याण हो सकता है।

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