धर्म कर्म: स्वाद के लिए और जान-अनजान में अंडा, मांस, मछली का सेवन कर विधि के विधान के अनुसार पाप कर्मों में लिप्त होते फिर उसकी सजा भोगते हुए और तकलीफ में यह बात कहने वाले कि मैंने तो किसी के साथ बुरा नहीं किया फिर मेरे साथ बुरा क्यों हो रहा है, ऐसे मनुष्य को सरल शब्दों में समझा-बता कर पाप और उसकी सजा से बचाने वाले इस समय के पूरे समर्थ सन्त सतगुरु उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी ने बताया कि मांस, मनुष्य का भोजन नहीं है।

आदमी को नुकसान करने वाले कीड़ों को मुर्गी खाती हैं। तालाब की सफाई के लिए बनाई गई मछली बह कर आये मुर्दा जानवर को खा कर सफाई करती है। और जब आदमी मुर्गी, बकरा, भैसा, गाय, सुअर को खाता है तो बीमारियों का आना स्वाभाविक है। ऐसा काम मत करो। जीव हत्या का बहुत बड़ा पाप लगता है। पाप से बचो। अपना शरीर शुद्ध रखो। इसमें बीमारी न आवे। मन-चित सही रहे। शराब, आंखों से मां-बहन-बेटी की पहचान खत्म कर देती है। शराब मत पियो।

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