Temple Vastu Tips: घर की सबसे शुद्ध और पवित्र जगह पूजा स्थल यानी मंदिर है. मंदिर में सभी देवता निवास करते हैं. उनकी पूजा करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है. परिवार में सुख-समृद्धि का संचार होता है, इसलिए घर की सबसे महत्वपूर्ण जगहों में से एक मंदिर को भी वास्तु के हिसाब से व्यवस्थित रखना जरूरी होता है. वास्तु शास्त्र में घर के पूजा स्थल से जुड़े कुछ नियम बताए गए हैं, जिनका पालन करने से पूजा पाठ का फल शीघ्र मिलता है. पंडित इंद्रमणि घनस्याल बताते हैं कि घर पर पूजा स्थल यानी मंदिर का निर्माण करवाते समय वास्तु नियमों का पालना करना चाहिए.

मंदिर की दिशा
वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर का मंदिर हमेशा ईशान कोण में होना चाहिए. इस दिशा में देवी-देवता निवास करते हैं. इस वजह से यह दिशा सबसे पवित्र मानी जाती है. ईशान कोण यानी उत्तर कोण में मंदिर बनवाने से भगवान का आशीर्वाद परिवार पर बना रहता है. इस बात का ध्यान रखें कि मंदिर की दिशा भूलकर भी दक्षिण की तरफ नहीं होनी चाहिए. इससे घर में दरिद्रता छा सकती है.

मंदिर का मुख
वास्तु के अनुसार, मंदिर की दिशा के साथ उसके मुख की भी दिशा सही होनी चाहिए. वास्तु के हिसाब से पूजा स्थल का द्वार पूर्व की तरफ होना चाहिए. वहीं, पूजा करने वाले व्यक्ति का मुंह पूर्व दिशा में होना श्रेष्ठ माना जाता है.

इन बातों का रखें ध्यान
वास्तु के अनुसार, मंदिर में कभी भी खंडित मूर्तियां नहीं रखनी चाहिए. इससे नकारात्मक ऊर्जा का वास होता है. मंदिर में लाल रंग का बल्ब का उपयोग नहीं करना चाहिए. इससे मानसिक तनाव उत्पन्न हो सकता है. हमेशा सफेद रंग का बल्ब ही मंदिर में लगाना चाहिए. मंदिर में पूर्वजों की फोटो भी नहीं रखनी चाहिए. एक भगवान की कई तस्वीरें मंदिर में स्थापित नहीं करनी चाहिए. मंदिर मे बर्तनों को साफ रखें. देवी-देवताओं की प्रतिमा भी रोजाना साफ करें. इससे घर में सुख-समृद्धि हमेशा बनी रहती है.

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