धर्म कर्म: जिनको बाबा जयगुरुदेव जी अपने अपनाए हुए सभी जीवों का पूरा चार्ज, अपनी पूरी पॉवर, पूरा अधिकार ट्रान्सफर कर के, दे कर के इस दुनिया से चले गए हैं, और अब जिनमें समा कर, जिनके रूप में ही अब जीवों की संभाल कर रहे हैं, यानी अब जिनके माध्यम से ही अब जीवों का कल्याण होगा, सुमिरन की पहली, दूसरी और आखरी माला में जिन समय के सतगुरु का ध्यान करने से ही आगे तरक्की होगी, और कोई तरीका भवसागर पार करने का नहीं है, और अगर स्वामी जी को देखना चाहो तो विश्वास और प्रेम से जिनको देखोगे तो स्वामी जी आज भी अपनी झलक जिनमें एक बार नहीं, कई बार दिखा देते हैं, ऐसे उनके आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, बाबा उमाकान्त जी महाराज ने बताया कि हम सबको अपना मानते हैं। गुरु के आदेश का पालन ही गुरु भक्ति होती है। मैं गुरु भक्ति में बराबर लगा हुआ हूं, आप भी लगो। भविष्यवाणी नहीं, आगाह करता रहता हूं। हमको आपको केवल निमित्त बनना है, काम तो सब हो चुका है।