धर्म-कर्म : बने तो गुरु से बने नहीं तो बिगड़े भरपूर, स्वामी बने जो और से, उस बनने पर धूल – गोस्वामी जी के इस वचन को चरितार्थ और साकार करने वाले, व्यक्तिगत संबंधों की परवाह न करते हुए गुरु के आदेश का अक्षरश: पालन कर गुरु को खुश कर ले जाने वाले, निजधामवासी बाबा जयगुरुदेव जी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने बताया कि हमारी हाथ जोड़ करके विनती है कि आप शाकाहारी हो जाओ, नशे को आप त्याग दो।

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छोड़ो व्यभिचार बनो ब्रह्मचारी। ब्रह्मचारी का मतलब यह नहीं होता है कि औरत को छोड़ दो या शादी ही न करो। अभी सब लोग शादी न करें तो सृष्टि कैसे चलेगी? औरत को कोई छोड़ देगा तो क्या हाल होगा? यह तो आप जो समझदार लोग हो, जानते हो। लेकिन ब्रह्मचारी का मतलब क्या होता है? बूढ़े बुजुर्ग लोग ही कह कर गए- एक आहारी सदाव्रत धारी और एक नारी ब्रह्मचारी। एक नारी जो आपकी है उसी में संतुष्टि रखो, इधर-उधर दिल-दिमाग मत दौड़ाओ। बच्चियों जो भी पुरुष मिले हैं, आपको पति परमेश्वर मिले हैं, एक धर्म एक व्रत नेमा, काय वचन मन पति पद प्रेमा, यानी उन्हीं को समझो कि यही हमारे पति परमेश्वर है तो वह ब्रह्मचर्य का पालन होगा। सतयुग लाने की करो तैयारी। अभी सब शाकाहारी, नशा मुक्त हो जाए, ब्रह्मचर्य का पालन करने लग जाए, आत्मशक्ति लोगों के अंदर आ जाए, ईश्वरवादी खुदा परस्त लोग बन जाए तो सतयुग आ गया या नहीं आया। सतयुग लाने की करो तैयारी। और अगर तैयारी नहीं करोगे, अगर सतयुग के लायक लोग नहीं बनेंगे तो इतिहास उठा कर के देख लो, युग परिवर्तन अवश्यंभावी। यह दुनिया यह संसार परिवर्तनशील है, यहां बदलाव होता रहता है।

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