KAJRI TEEJ 2023: इस साल कजरी तीज का व्रत 2 सितंबर को रखा जा रहा है। कजरी तीज का व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए खास होता है। इस दिन महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए दिन भर निर्जला व्रत रखती हैं। इसके अलावा कुंवारी लड़कियां भी सुयोग्य वर की प्राप्ति के लिए यह व्रत रखती हैं। इस दिन तीज माता यानी देवी पार्वती और शिव जी की पूजा की जाती है। मान्यता है कि कजरी तीज के दिन विधि पूर्वक पूजा करने से भगवान शिव और माता पार्वती प्रसन्न होते हैं।
कजरी तीज की पूजा के लिए सभी सामग्रियों का होना अति आवश्यक होता है।
कजरी तीज के दिन पूजा के लिए सबसे पहले मां पार्वती और शिवजी की मूर्ति रखें साथ ही एक चौकी भी तैयार करें। वहीं पूजा सामग्री के लिए आप पीला वस्त्र, कच्चा सूता, नए वस्त्र, केला के पत्ते, बेलपत्र, भांग, धतूरा, शमी के पत्ते, जनेऊ, जटा नारियल, सुपारी, कलश, अक्षत या चावल, दूर्वा घास, घी, कपूर, अबीर-गुलाल, श्रीफल, चंदन, गाय का दूध, गंगाजल, दही, मिश्री, शहद, पंचामृत रखें।
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वहीं मां पार्वती को सुहाग का सामान अर्पित करने के लिए एक हरे रंग की साड़ी, चुनरी और सोलह श्रृंगार से जुड़े सुहाग के सामान में सिंदूर, बिंदी, चूडियां, महौर, कुमकुम, कंघी, बिछुआ, मेहंदी, दर्पण और इत्र जैसी चीजों को जरूर रखना चाहिए।
कजरी तीज की पूजा विधि…
कजरी तीज व्रत वाले दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।
इसके बाद पूजा स्थल को साफ करके वहां एक चौकी पर लाल रंग या पीले रंग का वस्त्र बिछाएं।
माता पार्वती और भगवान शिव की मूर्ति स्थापित करें। यह मूर्ति वह मिट्टी से स्वयं बना सकती हैं या फिर बाजार से लाकर स्थापित कर सकती हैं।
इसके बाद वे शिव-गौरी का विधि विधान से पूजन करें, जिसमें वह माता गौरी को सुहाग के 16 सामग्री अर्पित करें।
भगवान शिव को बेलपत्र, गाय का दूध, गंगा जल और धतूरा अर्पित करें।
इसके बाद शिव-गौरी के विवाह की कथा सुनें।
रात्रि में चंद्रोदय होने पर पूजा करें और हाथ में चांदी की अंगूठी और गेहूं के दाने लेकर चंद्रदेव को जल का अर्घ्य दें।
पूजा समाप्त होने के बाद किसी सौभाग्यवती स्त्री को सुहाग की वस्तुएं दान करके उनका आशीर्वाद लें और व्रत खोलें।
पूजा का शुभ मुहूर्त…
कजरी तीज के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 7 बजकर 57 मिनट से सुबह 9 बजकर 31 मिनट तक है। वहीं रात को पूजा के लिए शुभ मुहूर्त 9 बजकर 45 मिनट से रात को 11 बजकर 12 मिनट तक है।