धर्म-कर्म : माया के परदे को हटाने वाले, कोई भी हो अपने अंत समय में प्रेम विश्वास श्रद्धा से जयगुरुदेव बोलने पर उसकी जीवात्मा की संभाल करने वाले, जिनको देख कर यमदूतों को मजबूरन दूर हटना पड़ता है, कर्मों की सजा से भी बचाने वाले, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकांत जी महाराज ने बताया कि मौत याद नहीं आ रही। मौत और प्रभु को भूले हुए हो। जिस काम के लिए यह मनुष्य शरीर मिला, वही काम आपने छोड़ दिया। किस काम में लगे हुए हो?

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इस शरीर को खिलाने, पहनाने, अच्छी जगह रहने, अच्छा घर बनाने, अच्छे कपड़े पहनाने का इंतजाम करने में, बाल-बच्चे, स्त्री-पति जो भी है, बस उन्हीं की सेवा में लगे हुए हो। इस चीज को भूले हो कि मौत के समय इनमें से कोई काम नहीं आएगा। जब मौत आ जाएगी उस वक्त ये बच्चे, माता-पिता खड़े देखते रहेंगे। वह (यमदूत) ऐसे जल्लाद होंगे कि उनको कोई देख ही नहीं पाएगा। इन बाहरी आंखों से वह देखे नहीं जा सकते हैं। उनमें पावर, शक्ति होती है। तो जब वह आवाज, अपनी पावर के द्वारा लगाते हैं तब सुनने वाले का कान का पर्दा फट जाता है, आवाज सुनते ही कान बहरा हो जाता है, उनको देखते ही आंख की रोशनी खत्म हो जाती है, शरीर को चलाने वाला खून, पानी हो जाता है। जैसे तेल में पानी डाल दो तो गाड़ी नहीं चलेगी, ऐसे ही शरीर में खून की कमी हो जाती है। तो खून चढ़ाना पड़ता है तब आदमी चल सकता है और खून ही पानी हो जाएगा तो शरीर क्या काम करेगा? तो आखरी वक्त पर यह सब होता है।

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यह जीवात्मा और मन इस शरीर के साथ बहुत दिनों तक रहता है। मन इस शरीर को चलाने, कराने में ही 24 घंटे लगाया रहता है तो इस शरीर को जीव खाली करना नहीं चाहता है क्योंकि मोह हो जाता है। भूल जाता है कि यह शरीर, किराए का मकान है। किराए के मकान को अपना समझ लिया। जिसकी रंगाई, पुताई करने, मरम्मत करने, इसको सुंदर सुडौल बनाने में ही हमारा समय जा रहा है, यह नहीं सोचता है। लेकिन किराए के मकान को कोई अपना मकान कह सकता है? किराए का मकान तो जब वह (मालिक) चाहेगा तब खाली करा लेगा। काया कुटी खाली करना पड़ेगा, रे मन मुसाफिर निकलना पड़ेगा। इसको तो खाली करना ही पड़ेगा।

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