बलिया: मुस्लिम समुदाय लोकसभा चुनाव में पूरी तरह कांग्रेस के साथ आने का मन बना चुका है। उन्हें समझ में आ गया है कि जब तक वो एक तरफा कांग्रेस को वोट करते थे तब तक भाजपा के पूरे देश में सिर्फ़ दो सांसद होते थे। उन्हें इस बात का भी एहसास है कि उनके कांग्रेस में आने के बाद ही बाकी वर्गों के लोग कांग्रेस में लौटेंगे क्योंकि मुस्लिम ही कांग्रेस के बेस वोट रहे हैं। ये बातें अल्पसंख्यक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष शाहनवाज़ आलम ने आज बलिया के सेमरी, रामपुर, जनुआन और भूड़ाडीह गांव में मुस्लिम वर्ग के साथ आयोजित बातचीत में कहीं।

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शाहनवाज़ आलम ने संविधान की प्रस्तावना से समाजवाद और सेकुलर शब्द हटाने, पूजा स्थल अधिनियम 1991 को खत्म करने की साजिशों के बारे में लोगों को अवगत कराया।उन्होंने कहा कि कांग्रेस राष्ट्रीय पार्टी है और सिर्फ़ वही संविधान बचा सकती है। बाकी दल और उनके वोटर कब किस लालच या दबाव में भाजपा के साथ चले जाएं इसकी कोई गारंटी नहीं है।

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बातचीत में यह सहमति भी दिखी कि मुस्लिमों के कांग्रेस से दूर होने के बाद से प्रदेश में मुस्लिम नेतृत्व खत्म हो गया। दूसरी पार्टियों ने 20 प्रतिशत मुस्लिमों से वोट लेकर सिर्फ़ अपनी बिरादरी में ही नेता पैदा किये। यहाँ तक कि जातिवाद के कारण अपने ही अधिकृत मुस्लिम प्रत्याशी को वोट देने के बजाए भाजपा के सजातीय प्रत्याशी को लोग वोट करवा देते हैं। इन सब वजहों से आज प्रदेश का 20 प्रतिशत आबादी वाला मुस्लिम समाज पूरी तरह नेतृत्व विहीन हो गया है। जबकि एक ज़माने में कांग्रेस असम, बिहार, राजस्थान, पॉन्डीचेरी और महाराष्ट्र तक में मुस्लिम मुख्यमन्त्री देती थी। इस दौरान अल्पसंख्यक कांग्रेस ज़िला अध्यक्ष आरिफ खान ने कहा कि हर मुस्लिम और दलित बहुल गांव में मुस्लिम और दलित वर्ग की संयुक्त बैठकें आयोजित की जायेंगी। इस दौरान इब्राहिम खान, सलमान खान मौजूद रहे।

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