धर्म-कर्म : दुःख के इस संसार में सुखी रहने का स्थाई तरीका बताने वाले, शारीरिक और भौतिक लाभ दिलाने वाले, इस समय के युगपुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकांत जी महाराज ने बताया की, सच्चे सन्त के दर्शन, ससंग और आशीर्वाद से बिगड़ते हुए काम भी बन जाते हैं। विवेकशील बुद्धिजीवियों को भारत के आध्यात्मवाद की गरिमा जगाते रहना चाहिए। महात्माओं के यहाँ हर जाति-धर्म के लोग लाभ पा सकते हैं।
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बाबा जी ने अपने संदेश में कहा कि, धन, बल, प्रतिष्ठा का अहंकार पतन की ओर ले जाता है। मनुष्य शरीर प्रभु प्राप्ति के लिए मिला है, यह हमेशा याद रखो ! मान-सम्मान, कुर्सी मिल जाने पर सेवा भाव खत्म हो सकता है, इसलिए इसे खुद पर हावी मत होने दो और माता-पिता, बूढ़े, बुजुर्गों, आधिकारी, कर्मचारी सबका सम्मान करो। नामदान बड़े भाग्य से मिलता है, यह हैवान से इंसान, इंसान से भगवान और भगवान से परमात्मा बना देता है। नामदान से काल का प्रकोप कम हो जाता है। जीव हत्या करके पैसा कमाने वाला कोई भी देश कभी भी तरक्की नहीं कर सकता है। बाबा जी ने आगे कहा कि, ध्यान दें ! बच्चे और बच्चियों में नशे की आदत व चरित्र का गिरना भारत जैसे धार्मिक देश के लिए खतरनाक होगा। मेहनत – इमानदारी की कमाई करो। दिल दुखाकर लाया हुआ, बिना मेहनत का पैसा फलता-फूलता नहीं बल्कि तकलीफ देता है। लक्ष्मी (रुपया) अच्छे-बुरे कर्मों से बढ़-घट जाती हैं। अगर शकाहारी-नशामुक्त और चरित्रवान बनोगे तो जयगुरुदेव नाम बोलते ही प्रभु मदद जरूर करेंगे और तुम्हारी सारी परेशनियों, दुःख, मुसीबत को दूर कर देंगे। जयगुरुदेव जयगुरुदेव जयगुरुदेव जय जयगुरुदेव ” नाम की ध्वनि रोज एक घंटा लगातार बोलने से तकलीफों में आराम मिलने लगता है।