Chhath puja 2023: आस्था के चार दिवसीय महापर्व छठ के पहले दिन नहाय- खाय और दूसरे दिन खरना होता है. छठ पूजा पर्व का व्रत हिन्दू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से होता है और दूसरे दिन पंचमी को खरना होता है. खरना के दिन व्रती पूरे दिन व्रत रखती है. इस दिन छठी माता का प्रसाद बनाया जाता है. इस दिन गुड़ की खीर बनाई जाती है. जो कि मिट्टी के चूल्हे पर बनाई जाती है. प्रसाद तैयार होने के बाद सबसे पहले इसे व्रती महिलाएं खाती है और उसके बाद यह सब में बांटा जाता है.

क्या है खरना का महत्त्व….

लोक आस्था का महापर्व कल यानी 17 नवंबर से शुरू हो गया है. सभी व्रतों में छठ का व्रत सबसे कठिन माना जाता है. ऐसा मानना है कि जो महिलाएं छठ के नियमों का पालन करती है तो छठी मैया उनकी सभी मनोकामना पूर्ण करती है. छठ व्रत में सूर्य भगवान की पूजा की जाती है.  खरना का अर्थ होता है शुद्धिकरण…

खरना के दिन प्रसाद बनाने की परंपरा….

आपको बता दें कि इस पर्व में खरना के दिन प्रसाद बनाने की परंपरा है. इस दिन छठी मैया के लिए प्रसाद तैयार किया जाता है और सूरा भगवान की पूजा की जाती है. अगले दिन सूर्यास्त के समय व्रती नदी और घाटों पर पहुंचते हैं जहां डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. इस दौरान सूर्य देव को जल और दूध से अर्घ्य दिया जाता है. इस दिन व्रती छठी मैया के गीत भी गाती हैं.

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पूजन के लिए जरूरी सामान…

छठ पूजा के लिए बांस की बड़ी टोकरियां और सूप की जरूरत होती है. इसके अलावा लोटा, थाली, दूध और जल के लिए ग्लास,चावल, लाल सिंदूर, धूप, बड़ा दीपक, पानी वाला नारियल, गन्ना, सुथनी, सकरकंदी, हल्दी और अदरक का पौधा, नाशपाती, नीबू, शहद, पान, साबुत सुपारी, कैराव, कपूर, कुमकुम, चंदन और मिठाई की जरूरत होती हैं.

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