धर्म कर्म: तकलीफों बिमारियों के मूल कारण और उसका उपाय बताने वाले, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने संदेश में बताया कि मिट्टी-पत्थर का मंदिर बनाते हो। उसमें कोई गंदी चीज या मुर्दा मांस डाल दे तो वहां कोई पूजा करेगा? मस्जिद में कोई इबादत करेगा? गुरुद्वारा में ग्रंथ पढ़ेगा? जहां गंदगी पड़ी है, नहीं करेगा। आप देखो लोग बहुत पूजा उपासना अनुष्ठान करते, मंदिरों में भी जाते हैं लेकिन तकलीफें क्यों नहीं दूर हो रही? समय पर जाड़ा गर्मी बरसात जैसे पहले होती थी, किसान हाथ जोड़कर पानी मांगता था, बादल बरस जाते थे, सतयुग में एक बार बोते 27 बार काटते थे। सती सावित्री ने अपने पति के प्राण को वापस ले लिया। अनुसूया ने ब्रह्मा विष्णु महेश को छोटा-छोटा बच्चा बना दिया। आजकल इन बच्चियों से ऐसा क्यों नहीं हो रहा है? इस पर विचार करने की जरूरत है। विचार क्या करना है, यह सोचना है कि जो भी पूजा उपासना की जाती है, इस शरीर से की जाती है। हाथ से फूल पत्ती प्रसाद चढ़ाया जाता है, मूर्तियों के आंख में देखकर दर्शन करते हो, मुंह से स्तुति मंत्र बोलते हो, प्रार्थना करते हो लेकिन यह शरीर ही गंदा है। मांस, मछली, अंडा खाया, पेट में गया, उसे खून बना। खून रग-रग में है। किसी भी अंग में सुई चुभाओगे तो खून निकलेगा। रग-रग में गंदा बेमेल खून है जो बीमारियां पैदा कर रहा है। मांस खाने की वजह से बहुत बीमारियां फैल रही हैं।

आप परहेज नहीं कर रहे हैं

मांसाहारी चीजों को, जान में चाहे अनजान में खाओ, वह बीमारी पैदा कर दे रहा है। परहेज नहीं कर रहे हैं। जीभ को स्वाद मिल गया, खाते जा रहे हैं। उसमें क्या पड़ा है, कौन से तेल में बना है, जानवरों की चर्बी के तेल में या सोयाबीन या मूंगफली या सरसों के तेल में बना है, क्या पता है।

सोचो बेईमानी जिसको करना ही होगा तो लाल की जगह हरा निशान लगा देगा

अखाद्य चीजों को खाने में आपका मन लग गया। इससे अंदर गंदगी, मछली का तेल, अंडे की चर्बी गई या नहीं गयी? इसी का खून बना। खून कहां शुद्ध रह गया? कैसे वह (प्रभु आपकी प्रार्थना पूजा) स्वीकार करेगा? कैसे दया देगा? कैसे खुश होकर के इन चीजों को देगा?

इस धार्मिक भूमि पर आज भाई-भाई के खून का प्यासा क्यों हो रहा

यही कारण है कि परेशानियों का पहाड़ आकर के लोगों के सामने खड़ा हो गया। तो न शरीर स्वस्थ रहा और न ही दिल-दिमाग ठीक से काम कर रहा, न बुद्धि सही रही। विवेक बुद्धि सब खत्म हो गया। भाई-भाई के लिए जंगल चला जाने वाला यह देश, इस अवध भूमि पर भाई-भाई के खून का प्यासा क्यों हो रहा है? यही कारण है। इसलिए साधकों को, नाम की कमाई करने वालों को विशेष रूप से बचना चाहिए। जो नाम दान लेकर लेने के लिए आप आए हो, इन चीजों से आप बचाना। मांस मछली अंडा शराब जैसी चीजों का सेवन मत करना। ऐसे नशे का सेवन मत करना जिससे बुद्धि खराब हो जाती है।

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