धर्म कर्म: नरकों की पीड़ा से बचाने वाले, विधि के विधान और सिस्टम को अंदर-बाहर से पूरा जानने की वजह से हर चीज की काट को भी जानने वाले, शरणागत का हाथ कभी न छोड़ने वाले, इस वक़्त के सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त महाराज जी ने जयपुर (राजस्थान) में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि काल क्यों चाहेंगे कि यह जीव अपने वतन, अपने मालिक के पास पहुंच पावे। वह तो चाहेगा कि जन्मते-मरते रहें, पशु-पक्षी की योनियों में जाते रहे। हमारी यह बनी हुई व्यवस्था चलती रहे। यदि सभी लोग यहां से चले जाएं, यहाँ से सतलोक, अपने मालिक, अपने घर पहुंच जाए तो व्यवस्था खत्म हो जाएगी। जैसे यह राजस्थान की जो व्यवस्था बनी हुई है, सब लोग राजस्थान से दूसरे प्रदेश में चले जाएं तो यह व्यवस्था सब फेल हो जाएगी। तो काल, माया, दांव मारते हैं। माया किसको कहा गया? रुपया-पैसा और औरतों को कहा गया है। माया, पुरुषों पर दांव मारती है। इस समय पर सभी स्त्री-पुरुष को सजग रहने की बहुत जरूरत है। मन को आप जिधर ले जाओगे, यह शरीर को उधर ही ले जाएगा। और अगर शरीर पापी हो गया तब न भजन, न भक्ति और न ही उद्धार कल्याण हो पाएगा। समझो! खानपान की वजह से मन खराब होता है। जब कहीं कोई भी अंग में काम, क्रोध,लोभ, अहंकार का अंश ज्यादा हो जाता है तब यह मन हावी हो जाता है। यानी संयम-नियम का पालन करो और शरीर को साफ सुथरा रखो। इसके अंदर कोई गंदगी (अंडा, शराब, मछली, मांस आदि) जाने न पावे। मन के कहने पर हर चीज को खाते-पीते न रहो कि स्वाद मिल रहा है, देखने में अच्छा लग रहा है, लोग कह रहे हैं कि खा लो तो आप खा लो। नहीं। देखो, सुनो, समझो, परखो फिर अंदर डालो (खाओ)। आप हर आदमी पर विश्वास मत करो कि जिससे आपको परमार्थ के रास्ते से अलग हो जाना पड़े। क्योंकि अगर लोभी लालची का साथ पड़ गया, आपके अंदर लोभ, लालच, काम, क्रोध की भावना को जगा दिया तो आप (सन्तमत के) रास्ते से अलग हो जाओगे। कहने का मतलब यह है कि परमार्थी का, भजनानंदी का, अच्छा उपदेश करने वाले का साथ करो। दुनिया की चीजों को दिलाने वाले, दुनिया के लिए लालच पैदा करने वाले का साथ कम करो। कर्मों की सजा से कोई बच नहीं पाया।

राम झरोखे बैठकर सबका मुजरा लेय, जाकी जैसी चकरी वाको वैसा दे

महाराज जी ने उज्जैन आश्रम में बताया कि जिसको आप लोग नहीं देख पा रहे हो, वह आपकी सारी अच्छाई-बुराई को 24 घंटे देखता रहता है। उसका न तो पेन खराब होता है, न स्याही और न ही उसका कागज जलता सड़ता है। मोटे-मोटे सुनहरे पन्नों में इतनी बढ़िया लिखावट होती है कि देखते ही रह जाओ। वह पन्ना कभी खराब नहीं होता है। लिखावट भी कभी खत्म नहीं होती है। स्याही कभी फीकी नहीं पड़ती। अपने आप उसमें सब लिखा जाता रहता है। कहा गया है- राम झरोखे बैठकर सबका मुजरा लेय और जाकी जैसी चाकरी उसको वैसा दे। कहा गया है- पैदा होते ही दो दूत बैठा देते हैं- एक दाएं और एक बाएं कंधे पर। दाएं कंधे वाला अच्छा और बाएं कंधे पर बैठा बुरे कर्म लिखते रहते हैं। जैसे ही शरीर छूटा तैसे ही अपना कागज फाइल वहां पेश कर देते हैं। उनके मंत्री पेशकार-चित्रगुप्त के पास सबका लेखा-जोखा रहता है। देर नहीं लगती है, तुरंत पूरे जीवन का हाल बता देते हैं। इतनी अच्छाई किया और इतनी बुराई किया। अच्छाई रहती है तो जीव वहां जाता ही नहीं है, स्वर्ग बैकुंठ में चला गया, रास्ता मिल गया, उससे आगे चला गया, नहीं तो मृत्यु लोक में ही पुनर्जन्म हो गया। वहां जाने की जरूरत नहीं रहती है। ज्यादातर पाप ही रहता है तो फिर उसकी सजा वह बोल देता है। फिर (यमराज के दूत) आये, सीने पर सवार हुए, दबाये, चिल्लाया, बेहोश होने लगा तब हट गए फिर सवार। नरकों में मिलने वाली सजा और वहां के सिस्टम के बारे में महाराज जी ने और भी बहुत कुछ बताया और सबको समझाया कि समय रहते चेतो।

आपकी लड़ाई कलयुग से है

महाराज जी ने उज्जैन आश्रम में बताया कि गुरु महाराज कहा करते थे समुद्र बहेगा (यानी ये जयगुरुदेव संगत बहुत बढ़ेगी)। दादा गुरु भी गुरु महाराज से कहा करते थे कि आगे चलकर ये समुद्र का रूप ले लेगा। वह समुद्र का रूप अब दिखाई पड़ रहा है। समुद्र का रूप अगर आप नहीं बनाओगे, आप अपनी संख्या अगर नहीं बढ़ाओगे तो आपकी लड़ाई किससे है? कलयुग से है। कलयुग कमजोर नहीं है। कलयुग जबरदस्त है, राजा है। तो क्या राजा से लड़ाई इतनी मामूली है? न तीर उठाओ, न तलवार उठाओ और प्रेम से लड़ाई लड़ करके, लोगों की विचार भावनाओं को इकट्ठा करके कलयुग को परास्त करना है। ये मामूली बात नहीं। ऐसे कलयुग नहीं चला जाएगा। जाएगा भी अगर, अकेले से तो महापुरुष के संकल्प से जाएगा। लेकिन महात्मा श्रेय दूसरों को दे दिया करते हैं। जब-जब परिवर्तन होता है तो देखो इतिहास उठा करके, महात्माओं ने श्रेय दूसरों को दिया। त्रेता जाने को हुआ तो राम ने श्रेय बंदर-भालू को दिया। द्वापर जाने को हुआ तो परिवर्तन हुआ, कृष्ण ने सब काम किया, लेकिन गोपी-ग्वालों को श्रेय दिया। अरे लकड़ी लगाने वाले को तैयार करना पड़ता है। तैयार नहीं करोगे, संगत नहीं बढ़ाओगे तो कैसे लड़ाई आपकी सफल होगी? तो देरी होती जाएगी, काम पिछड़ता जाएगा, तो यह तो जरूरी है।

संकट से यदि बचना है तो जयगुरुदेव नाम जपना है

महाराज जी नेलखनऊ (उ.प्र.) में बताया कि संकट से यदि बचना है तो जयगुरुदेव नाम जपना है। बाबा जी का कहना है, नशा मुक्त रहना है। बीमारी से बचना है, शाकाहारी रहना है। यह याद कर लो और लोगों को याद करा दो। बोलो जयगुरुदेव।

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