धर्म कर्म: इस समय के पूरे समरथ सन्त, शब्दभेदी गुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त महाराज जी ने अयोध्या में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि समय के, वक्त के डॉक्टर, वक्त के मास्टर, वक्त के गुरु और वक्त के नाम की जरूरत होती है। कोई ये कहे कि हमारे पिताजी को जो डॉक्टर ठीक किए थे, हम उनसे इलाज कर लेंगे और वह (अब जीवित) नहीं है तो उनसे दवा कैसे ले पाओगे? कैसे ठीक हो पाओगे? आपको पता लगा कर समय के डॉक्टर के पास जाना पड़ेगा। जो मास्टर बाबा को, उनके पिताजी को पढ़ाए थे, सोचो कि उस मास्टर से हम अपने लड़के पोते को पढ़ाएंगे और वह तो अब रहे नहीं। अब तो समय के मास्टर के पास, अच्छे मास्टर के पास आपको अपने लड़के को पढ़ने के लिए भेजना पड़ेगा। ऐसे ही वक्त के गुरु की जरूरत होती है। समय पर कौन काम ऐसा कर सकता है? शब्द भेदी गुरु कौन है? उसके पास जाना पड़ेगा। जीवात्मा के कल्याण के लिए, नाम लेने के लिए, नाम की कमाई करने, समझने के लिए उन्ही के पास जाना पड़ेगा। ऐसे ही वक्त का नाम होता है। यह जो पांच नाम का नामदान आपको मिला, यह नाम हमेशा रहा है। लेकिन जो वर्णनात्मक नाम है, जैसे राम-कृष्ण भगवान का नाम बताया गया, यह वक्त का समय का नाम है जो बदलता रहता है। सत साहब, वाहेगुरु, राधा स्वामी नाम आया, नारायण नाम आया, और भी तमाम नाम जो आए, जो अपने मुंह से निकाल बता दिए, जिस स्थान से आए थे, वहां से उन्होंने उस नाम को जोड़ा, उनसे जितना फायदा हो सका, लोगों को दिलाया।

जयगुरुदेव नाम उस सर्वोपरि शक्ति परमात्मा से जुड़ा हुआ नाम है

इस समय पर यह जयगुरुदेव नाम है। गुरु महाराज बाबा जयगुरुदेव जी द्वारा यह जगाया हुआ। इसमें परमात्मा की पूरी शक्ति ताकत भरी हुई है। हम यह नहीं कहते हैं कि जो नाम आप लेते हो, उसे नाम को मत लो। हम किसी का विरोध नहीं करते। देखो प्रेमियों! कोई रेखा खींची हुई है, उस रेखा से काम चलने वाला नहीं है तो बड़ी रेखा खींचनी पड़ेगी। तो बड़ी रेखा खींच दो। कोई कहे की रेखा को छोटा करने के लिए बड़ी रेखा खींच दी तो यह तो भ्रम और भूल होगा। बड़ी रेखा, बड़ी चीज जिसकी जब जरूरत है, वह चीज जब आपको मिल जाएगी तब तो आप उसी को अपना लोगे। जो वक्त पर नाम आता है, उसी का प्रचलन होता है। समझो यदि एक ही नाम रह गया होता तो बाकी नाम आते ही क्यों? इसलिए-

नाम रहा संतन अधीना, सन्त बिना कोई नाम न चीन्हा

नाम महात्माओं के अधीन हुआ करता है। गुरु महाराज पूरे सन्त थे। इसलिए उन्होंने नाम को जोड़ा उस सर्वोपरि शक्ति से, जहां से उनको भेजा गया था। वहां से वो इस धरती पर आए। उन्होंने नाम को सतदेश, सतलोक से जोड़ दिया। कैसे जोड़ा? आपको नहीं मालूम कि आप कहां से जुड़े हुए हो, कौन सी शक्ति आपको चला रही है, कौन सा तार एक जगह से दूसरी जगह आपको ले जाता है। वही तार जब काटता है तो शरीर धड़ाम से गिर जाता है। उसी तार से जीवात्मा इस शरीर में डाली गई है। सबकी जीवात्माएं, जितने भी लोग दुनिया में हैं, सब उस प्रभु से जुड़े हुए हैं। सन्त उसी से नाम को जोड़ देते हैं। उसे (मालिक को जब उस) नाम से पुकारते हैं तब वह देखता है, बोलता है।

बीमारी, तकलीफों, लड़ाई-झगड़ा, मानसिक टेंशन में राहत ऐसे मिलेगी

उस वक्त के नाम से जब प्रभु को पुकारते हैं तो वो देखता, मदद करता है। बहुत से लोगों को फायदा हुआ। आप भी करके देख लो। जिनके घर में बीमारियां बनी ही रहती हो, लड़ाई-झगड़ा, कुछ-कुछ लगा रहता हो, रुपया-पैसा में बरकत न होती हो, आए दिन समस्या दिक्कतें आती रहती हो, ऐसे लोग आप जयगुरुदेव नाम की ध्वनि एक घंटा सुबह-शाम परिवार वालों को इकट्ठा करके बोलना, बुलवाना शुरू कर दो। देखो कुछ दिन में न फायदा हो तो। कोई पैसा लेकर थोड़ी बता रहा हूं आपको? फ्री में कोई चीज मिल रही है तो करके देख लो। नहीं तो कोई जरूरी नहीं है कि हमारी बात को आप मान लो। और अगर आपको फायदा हो जाएगा तो फिर मिलना, फिर आना, फिर और भी सतसंग की दो बात सुनना, उसमें आपका लोक और परलोक दोनों को बनाने वाला नाम भी बताया जाएगा।

जयगुरुदेव नाम दु:खहर्ता नाम है, दु:खों को दूर करेगा

यदि आपको तकलीफ रहेगी तो सामने भगवान को भी लाकर खड़े कर दिया जाए तो भी भगवान आपको अच्छे नहीं लगेंगे। बीमार भी भगवान की फोटो देखेगा तो आंख बंद कर लेगा, कहोगे कि बोलो, भगवान का नाम लो, एक-दो बार बोलेगा फिर बंद कर देगा क्योंकि दुखी है। दु:ख में याद नहीं हो पाता है। दु:ख दूर होना सबसे पहले जरूरी होता है। जयगुरुदेव नाम दु:खहर्ता नाम है, दु:खों को दूर करेगा। इसलिए जयगुरुदेव नाम बराबर बोलते रहना। याद रखना सब लोग। और नाम ध्वनि बोलोगे तो उसका अलग ही फायदा दिखेगा। ऐसे भी चलते-फिरते उठते-बैठते जयगुरुदेव नाम को बोलते रहना है।

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