विश्व हिंदी दिवस: जहाँ 14 सितम्बर के दिन भारत में हिंदी दिवस मनाया जाता है, तो वहीं आज 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाया जाता है। हिंदी भाषा हर भारतीय के हृदय के उतने ही करीब है, जितने करीब उसकी माँ भारती। हर वो भारतीय जो देश से प्यार करता है, वह मातृभूमि से जन्मी इस विशेष हिंदी भाषा से अवश्य ही प्यार करता है। आज के दौर में जहाँ ‘कौन बनेगा करोड़पति’ जैसे चर्चित टीवी शो में जब हम यह सवाल देखते हैं कि 68 को हिंदी में क्या कहते हैं, तो आत्मा कराह उठती है कि, ये सवाल आखिर क्या जाहिर करना चाह रहा है। यह सवाल दरअसल यही जाहिर करता है कि, हमारे अपने देशवासी हिंदी किस प्रकार भूलते जा रहे हैं। वर्तमान में हिंदी की दुर्दशा को देखकर डॉ. जगदीश व्योम की कविता ‘भाल का श्रृंगार है हिंदी’ याद आती है…
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डॉ. जगदीश व्योम द्वारा रचित कविता
माँ भारती के भाल का शृंगार है हिंदी
हिंदोस्ताँ के बाग़ की बहार है हिंदी
घुट्टी के साथ घोल के माँ ने पिलाई थी
स्वर फूट पड़ रहा, वही मल्हार है हिंदी
तुलसी, कबीर, सूर औ’ रसखान के लिए
ब्रह्मा के कमंडल से बही धार है हिंदी
सिद्धांतों की बात से न होयगा भला
अपनाएँगे न रोज़ के व्यवहार में हिंदी
कश्ती फँसेगी जब कभी तूफ़ानी भँवर में
उस दिन करेगी पार, वो पतवार है हिंदी
माना कि रख दिया है संविधान में मगर
पन्नों के बीच आज तार-तार है हिंदी
सुन कर के तेरी आह ‘व्योम’ थरथरा रहा
वक्त आने पर बन जाएगी तलवार ये हिंदी