धर्म-कर्म : कर्मों के गहन विधान जिससे अवतारी शक्तियां भी नहीं बच पाई, उसे सरल शब्दों में समझा-बता कर पाप और उसकी सजा से बचाने वाले इस समय के जीवित पूरे समरथ सन्त सतगुरु उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने बताया कि सरकारी धन अच्छा नहीं होता है। बकरा, भैंसा, मुर्गा, गऊ, बैल आदि काटने का, शराब का रुपया टैक्स के रूप में आता है सरकार के पास। ये उसको खर्च करते हैं। वो टैक्स का धन पाप का धन होता है। पाप का धन नहीं खाना चाहिए।
सरकार के पैसे से धर्म की बेल नहीं बढ़ सकती -बाबा उमाकान्त जी:-
महाराज जी ने कहा सरकार से कुछ मत लेना। सरकार से एक पैसे (प्राप्त करने) की इच्छा न रखो। सरकार के पैसे से धर्म का काम नहीं हो सकता है, धर्म की बेल नहीं बढ़ सकती है क्योंकि राजकोष का पैसा मुर्गा, गाय, भैंसा आदि कटने का, हिंसा हत्या जो लोग करते हैं, उनके टैक्स का पैसा, वही सब होता है। तो वह आपके लिए अच्छा नहीं रहेगा। आप अपनी मेहनत ईमानदारी की कमाई का साफ सुथरा पैसा जहां लगाओगे, वहां आपको कामयाबी मिलेगी। अगर पैसे से धर्म का काम होने को होता तो सारा देश आज क्रिश्चियन हो गया होता। आप मेहनत की कमाई का अपना पैसा धर्म के काम में लगाना। मेहनत करके एक-दुसरे का जो कई जन्मों का लेना-देना है, उसे काट लो।
मांगना है तो सतगुरु से मांगो:-
बाबा जी ने कहा कि, मांगना ही है तो उससे मांगो जो सबको देता है। गुरु से मांगो, वह आपको देंगे। लोग दावे करते हैं लालच देते हैं, सरकारी अनुदान या छूट दिला देंगे लेकिन वह अच्छा पैसा नहीं होता है। ऐसे पैसों से जितना दूर रहोगे उतना खुश रहोगे।